(चित्र गूगल से संगृहीत) |
सारे झगड़े हम भुलाते हैं
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं
भूल कर झगड़े ये जातीवादी
यह चालें है कुछ सियासत वाली
इन सब से परे हो जाते हैं
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं
यह वादे दिखावे की दुनिया
चलती वोटों की राजनीति दुनिया
पल में हमें तोड़ जाते हैं
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं
हक की लड़ाई जहां हम लड़ते
कुछ सियासी वहां दंगे करते
उनकी चालों में हम फस जाते हैं
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं
होती राजनीति मासूम चीखों पर
मरहम कोई नहीं उनके जख्मों पर
अपने वोटों को सिर्फ भुनाते है
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं
जरूरतें जहां हमें हैं होती
हुकूमतें वहां इनकी नहीं होती
व्यर्थ हम अपना समय गंवाते हैं
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैैं
सुख का सूरज हमें उगाना है
मिलकर इक दूजे के काम आना है
नया सबेरा अब हम लेकर आते हैं
चलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं
***अनुराधा चौहान***
वाहः क्या बात है
ReplyDeleteबहुत खूब
धन्यवाद लोकेश जी
Deleteशानदार व्यंग्यात्मक रचना
ReplyDeleteजी बहुत बहुत धन्यवाद आपका
ReplyDeleteबहुत ख़ूब ...
ReplyDeleteसभी अपना अपना मैं छोड़ के हम में विश्वास करें तो न सिर्फ़ घर बल्कि देश भी कहाँ का कहाँ पहुँच जाएगा ...
जी सही कहा आपने दिगंबर जी सादर आभार
Deleteवाह बहुत खूब ....में की माटी में तू का जल बन हम अमरत बन जाये आओ में से हम हो जाये .....लाजवाब ...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद इंदिरा जी
ReplyDeleteनया सबेरा अब हम लेकर आते हैं
ReplyDeleteचलो मैं मैं नहीं हम हो जाते हैं......
बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय अनुराधा जी।
धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह ...क्या बात
ReplyDeleteधन्यवाद रेवा जी
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