ख्वाबों के महल बहुत बड़े हैं
राह में अजगर बहुत पड़े हैं
कैसे मंज़िल को में पाऊँ
जमाना बैरी बन बैठा
राह में आगे बढ़ते जाते
जब निकलूँ में किसी मोड़ से
खड़े मिलते वहाँ हैवान
जमाना बैरी बन बैठा
कठिनाई भरा नारी जीवन
सबके मन की करते करते
जहाँ ऊँची भरी उड़ान
जमाना बैरी बन बैठा
सबके संग प्यार बाँटकर
सबको अपने साथ जानकर
हमने थोड़ा जीना चाहा
जमाना बैरी बन बैठा
किसी के संग दो बातें करली
किसी के संग जरा क्या हँसली
सच्चाई को बिना ही समझे
मचता हाहाकार
जमाना बैरी बन बैठा
कब तक यह रीत चलेगी
नारी यूँ ही झुकती रहेगी
छू पाएगी क्या आकाश
जमाना बैरी बन बैठा
***अनुराधा चौहान***
Satya vachan
ReplyDeleteThanks Saransh
Deleteसही है। बैरी बने जमाने से लड़ना ही होगा अपने वजूद की खातिर ....
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteपिंजरा तोडना होगा .आकाश को गले लगाना होगा .
ReplyDeleteशानदार रचना
बहुत ही सुंदरता से बताया सखी के नारी के जज्बातों के क्या क्या परिणाम होते हैं। सार्थक रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है
Deleteधन्यवाद नीतू जी
ReplyDeleteआज की नारी कमजोर नहीं सशक्त है। जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी धाक जमा चुकी हैं। बस उन्हें स्नेह और प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
ReplyDeleteजी सही कहा आपने धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteस्त्री के लिए जमाना हमेशा से ही बैरी है | उसे अधिकार कभी भी थाली में सजा कर नहीं मिलेंगे , संघर्ष उसे ही करना होगा ....सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
Deleteबहुत सुंदर रचना सत्य की दिखती हुई बहुत कुछ बदला है और अभी बहुत कुछ बदलना बाकी है... नारी को स्वयं ही उठकर ससक्त बनना है..
ReplyDeleteधन्यवाद सुप्रिया जी
Deleteह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय संजय जी
Deleteभावनाओं का मार्मिक वर्णन
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय जीवन जी
Deleteप्रेरणादायक रचना
ReplyDeleteधन्यवाद शकुंतला जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २ सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
Deleteधन्यवाद श्वेता जी आपने मेरी रचना का चुनाव कर मुझे उत्साहित किया आभार आपका
Heart touching
ReplyDeleteThanks Ankita
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
DeleteSundar prastuti :)
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteमार्मिक पंक्तियां जो समाजिक व्यथा को दर्शाती है।
ReplyDeleteधन्यवाद दीपक जी
Delete