रात देखा एक स्वप्न
क्षितिज पर मचा था
तारों का क्षितिज बंद
छोड़कर चमकना
सबका हुआ गठबंधन
सुनने समस्याओं को
मौजूद सभी देवगण
एक एक समस्याओं
का करके निदान
सफल कर रहे
क्षितिज का बंद
तभी ध्रुव तारे का
हुआ आगमन
शुरू हुआ तारों
का जगमगाना
साथ ही सफल हुआ
तारों का क्षितिज पर बंद
लो होने लगा
सुबह का आगमन
सूरज की किरणें देख
प्रकृति झूमीं बनठन
आगाज़ हुआ एक
और भारत बंद
मच रही तोड़फोड़
मचा आपस में द्वंद
कस रहे सब
एक दूजे पर तंज
समस्याओं को सुलझाने
नहीं आगे आए
कोई भी नेतागण
जनता के गले का फंद
बना रोज रोज का बंद
जलती गाड़ियां
चलते पत्थर लट्ठ
एंबुलेंस में जिंदगी
बंद में तोड़े अपना दम
मंहगाई ने भी कस ली
कमर हम नहीं होंगे
बिल्कुल भी कम
इससे तो अच्छा था
स्वप्न का क्षितिज पर बंद
***अनुराधा चौहान***
क्षितिज पर मचा था
तारों का क्षितिज बंद
छोड़कर चमकना
सबका हुआ गठबंधन
सुनने समस्याओं को
मौजूद सभी देवगण
एक एक समस्याओं
का करके निदान
सफल कर रहे
क्षितिज का बंद
तभी ध्रुव तारे का
हुआ आगमन
शुरू हुआ तारों
का जगमगाना
साथ ही सफल हुआ
तारों का क्षितिज पर बंद
लो होने लगा
सुबह का आगमन
सूरज की किरणें देख
प्रकृति झूमीं बनठन
आगाज़ हुआ एक
और भारत बंद
मच रही तोड़फोड़
मचा आपस में द्वंद
कस रहे सब
एक दूजे पर तंज
समस्याओं को सुलझाने
नहीं आगे आए
कोई भी नेतागण
जनता के गले का फंद
बना रोज रोज का बंद
जलती गाड़ियां
चलते पत्थर लट्ठ
एंबुलेंस में जिंदगी
बंद में तोड़े अपना दम
मंहगाई ने भी कस ली
कमर हम नहीं होंगे
बिल्कुल भी कम
इससे तो अच्छा था
स्वप्न का क्षितिज पर बंद
***अनुराधा चौहान***
सामयिक यथार्थ पर कटाक्ष करती सुंदर कविता
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका
Deleteबहुत उम्दा सोच .... लाजवाब रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार नीतू जी
Deletepurntya satya ....behtareen ji
ReplyDeleteधन्यवाद प्रशांत जी
Deleteबेहतरीन तुलना।
ReplyDeleteराह से भटक गये हैं लोग
कोई ध्रुव तारा चाहिए अब।
बहुत सुन्दर... समसामयिक रचना...
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जी
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 13 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1154 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
जी आभार आदरणीय मेरी रचना का चुनाव कर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए
Deleteक्षमा कीजिये आपकी प्रस्तुति आगामी सोमवारीय प्रस्तुति "हम-क़दम" के लिये चयनित है अतः 13 सितम्बर 2018 के अंक में न प्रकाशित किये जाने के लिये खेद है।
Deleteआभार आदरणीय जानकारी के लिए मुझे लगा ही था यह रचना सोमवार के हम-कदम के विषय पर है
Deleteआज को चरितार्थ करती सुंदर रचना
ReplyDeleteआभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १७ सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
धन्यवाद श्वेता जी मेरी रचना का चुनाव करने के लिए
Deleteवाह ! नई मौलिक कल्पना !!! भारत बंद से तंग आकर तारों ने किया क्षितिज बंद। सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए
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