कभी सुनी थी
बचपन में
एक कहानी
क्षितिज के पार
एक दुनिया सुहानी
सुंदर सुंदर
बाग बगीचे
उड़ते सब और
उड़न खटोले
कल कल करती
नदियां बहती
आसमां से
चाकलेट गिरती
स्वर्ग से सुंदर
उस दुनिया में
रहती है एक
परियों की रानी
न मचता कोई
कोलाहल वहां
न कभी होती
कोई मारामारी
क्षितिज के पार
की उस दुनिया में
छाई रहती
हरदम खुशहाली
नहीं रहना मुझे
अब इस दुनिया में
कंक्रीटों के इस
जंगल में
खुशियों की है
तलाश मुझे भी
ले जाए कोई
उस पार मुझे भी
जहां होती है
खुशियों की बारिश
कल की रहती
कोई फिकर नहीं
बहुत सुंदर है
और न्यारी
क्षितिज के पार की
दुनिया सुहानी
***अनुराधा चौहान***
बचपन में
एक कहानी
क्षितिज के पार
एक दुनिया सुहानी
सुंदर सुंदर
बाग बगीचे
उड़ते सब और
उड़न खटोले
कल कल करती
नदियां बहती
आसमां से
चाकलेट गिरती
स्वर्ग से सुंदर
उस दुनिया में
रहती है एक
परियों की रानी
न मचता कोई
कोलाहल वहां
न कभी होती
कोई मारामारी
क्षितिज के पार
की उस दुनिया में
छाई रहती
हरदम खुशहाली
नहीं रहना मुझे
अब इस दुनिया में
कंक्रीटों के इस
जंगल में
खुशियों की है
तलाश मुझे भी
ले जाए कोई
उस पार मुझे भी
जहां होती है
खुशियों की बारिश
कल की रहती
कोई फिकर नहीं
बहुत सुंदर है
और न्यारी
क्षितिज के पार की
दुनिया सुहानी
***अनुराधा चौहान***
वाह क्या कहने, बाल सुलभ मन सी पावन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर सखी ।
सुंंदर स्वपनिल सी बातें बहुत सुहानी..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार पम्मी जी
Deleteवाह बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय लोकेश जी
Deleteइस सुहानी दुनिया की कल्पनाएँ मन को बहुत गुदगुदाती हैं ...
ReplyDeleteकाश होती कहीं ऐसी दुनिया ...
बहुत बहुत आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है
Deleteस्वप्निल कल्पना लोक की सुहानी मनभावनी रचना...
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत सुन्दर
धन्यवाद सुधा जी
Deleteवाह, एक नई तरह की यह अभिव्यक्ति बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना जी
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