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Wednesday, September 5, 2018

मैं तेरा मीत बनूं

तुम आँख बंद करो
मै सपने बुनूं
तुम उन्हें शब्द दो
मै इन्हें लिखू
तुम धुन गुनगुनाओ
मै गीत लिखूं
तुम इन्हें सुर दो
मै साज बनूं
तुम मन की वीणा
मै तार बनूं
तुम मेरा जीवन
मै संगीत बनूं
तू मेरी मितवा
मै तेरा मीत बनूं
प्यार से जहां में तेरे
मै अपनी प्रीत भरूं
***अनुराधा चौहान***




29 comments:

  1. behtareen....khoobsoorat bhavon se bhari rachna ji...

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  2. प्रेम रस से भीगी हुई सुंदर कविता

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    1. आपका बहुत बहुत आभार

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  3. बहुत सुंदर अनुराधा जी उच्चतम समर्पित भाव ।

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  4. बहुत खूबसूरत रचना अनुराधा जी

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  5. सुहाना स्वप्न संगीत

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  6. धन्यवाद सुमन जी

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  7. अतिसुन्दर
    प्रेम से ओतप्रोत रचना

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  8. धन्यवाद अमित जी

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  9. कितनी ख़ूबसूरत और कोमल अभिव्यक्ति - बधाई

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १० सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी

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  11. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/09/86.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  12. वाह....
    बेहतरीन
    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार यशोदा जी

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  13. बहुत सुन्दर...
    वाह!!!

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  14. प्रिय अनुराधा जी -- छोटी सी मधुर रचना मन मीत के नाम !!!!!!!! हार्दिक बधाई |

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    1. बहुत बहुत आभार रेणू जी

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