जब कोई साथ छोड़ दें तो
ज़िंदगी ठहर-सी जाती है
मन में उमड़ते विचारों की
अनंत गहराईयों में डूबकर
बीते पलों को यादों में
वक़्त भागता रहता है
मन विचारों में उलझा रहता है
यादों को सहेज कर
चलने का नाम ही ज़िंदगी है
चलो वक्त़ के साथ
रुकती नहीं है ज़िंदगी
किसी के भी लिए
खुशियों की तलाश कर
तन्हाइयों को छोड़ के पीछे
चुन लो वक्त़ से हसीं लम्हे
महका लो मन का आंगन
वक्त़ के साथ बदलना
जिंदगी की रीत है
स्वीकारना सच्चाई को
यही जीवन से प्रीत है
जो बीत गई सो बात गई
कल को लेकर क्या रोना है
जिंदगी को जियो जी भर के
कल जो होना है सो होना है
***अनुराधा चौहान***
वाह सुंदर चिंतन सखी ।
ReplyDeleteबीती ताहि बिसार दे आगे की सुधी लेय ।
समय किसी के हाथ में नहीं होता ...
ReplyDeleteपुराने को भूल कर नया अपनाना ही जीवन है ...
आभार आदरणीय
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