भावों के प्रवाह को
बनकर कविता बहने दो
शब्दों के सुंदर संसार में
सपनों को जीने दो
यह ऐसा संसार है
जिसमें रंग हजार है
जो काम न हथियारों से होता
वो करती कलम की धार है
मत रोको बहने से
भावों के सुंदर झरने को
सरगम सा यह गीत बने
सजनी की इसमें प्रीत जगे
जब भावों ने हुंँकार भरी
तब क्रांति की ज्वाला जगी
सच्चाई की राह दिखाती
कलम की तलवार काम कर जाती
भावनाओं का जन्म न होता
तो सुंदर सरल गीत नहीं बनता
साहित्य की नदिया न बहती
जीवन में सरगम न रहती
आओ हम सब मिलकर
इसके प्रवाह में बह जाएं
भावों के सुंदर मोती से
काव्य का सुंदर हार बनाएं
***अनुराधा चौहान***
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन सृजन
धन्यवाद आदरणीय
Deleteभावों के सुंदर मोती से
ReplyDeleteकाव्य का सुंदर हार बनाएं....., बेहतरीन और उम्दा !
सकारात्मक चिन्तन से लबरेज भावपूर्ण रचना ।
बहुत बहुत आभार मीना जी
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