जब धूमिल हुए
जिंदगी के रंग
कैसा फागुन
कैसा बसंत
मन अंधेरे में
डूबता जाता है
तब रुको नहीं
डरो नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर कदम बढ़ा
जीवन में कोई भी
चाहत नहीं हो
मन परेशानी में
घिरा हुआ हो
अतीत की यादों
डूबता जा रहा हो
जीवन में अँधेरा
छाने लगे
उदासी दामन
फैलाने लगे
मन में आशा के
दीप बुझे हो
तब रुको नहीं
थको नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर की उजाले
की ओर कदम बढ़ा
नकारात्मक सोच
से बाहर निकल
सकारात्मक सोच
को साथ लेकर
दुविधाएँ जीवन की
मिटाते हुए
तब रुको नहीं
थको नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर क़दम बढ़ा
जीवन संकट
से घिरा रहे
चारों और
अँधियारा दिखे
सूझे न फिर को
उपाय
तब रुको नहीं
डरो नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर कदम बढ़ा
जीवन में अँधेरा
छाने लगे
उदासी दामन
फैलाने लगे
मन में आशा के
दीप बुझे हो
तब रुको नहीं
थको नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर की उजाले
की ओर कदम बढ़ा
नकारात्मक सोच
से बाहर निकल
सकारात्मक सोच
को साथ लेकर
दुविधाएँ जीवन की
मिटाते हुए
तब रुको नहीं
थको नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर क़दम बढ़ा
जीवन संकट
से घिरा रहे
चारों और
अँधियारा दिखे
सूझे न फिर को
उपाय
तब रुको नहीं
डरो नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर कदम बढ़ा
परिस्थितियां
विपरीत हो चाहें
रास्ते में हों बाधाएं
मन को करार न आए
दिल घबराने लगे
तब रुको नहीं
डरो नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर कदम बढ़ा
मंज़िल पाने की
चाहत से मन
हताश हो उठता
हार मान कर
रुकने लगता
हार मान कर
रुकने लगता
तब रुको नहीं
डरो नहीं
उम्मीद का दामन
थाम कर उजाले
की ओर कदम बढ़ा
कुछ उजाला
सूरज से लेलो
शीतलता चाँद से
सारे प्रयास सफल
हो जाएंगे तब जब
जीवन में भरोगे उजास
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
जीवन के सकारात्मक पहलू को उजागर करती सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत खूब......
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
कुछ उजाला
सूरज से लेलो
शीतलता चाँद से
सारे प्रयास सफल
हो जाएंगे तब जब
जीवन में भरोगे उजास
धन्यवाद आदरणीय
Deleteउम्मीद, आशा का दामन थामे सफ़र जारी रखना ही जीवन है ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ....
क्या बात है बहुत सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteबहुत ही अच्छी लगी सकारात्मक पहलू पर कविता ...कई बार पढी... अभी फ़िर से पढने जा रहा हूँ
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteकुछ उजाला
ReplyDeleteसूरज से लेलो
शीतलता चाँद से
सारे प्रयास सफल
हो जाएंगे तब जब
जीवन में भरोगे उजास
सत्य वचन......... बहुत खूब... सखी
सहृदय आभार सखी
Deleteटुटे हारों में नव उत्साह बन बहती सुंदर काव्य प्रस्तुति।
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Deleteबहुत ही सुन्दर उम्मीदोंं से भरा करार...
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteउम्मीद पे दुनिया क़ायम है.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteएक उम्मीद ही होती है जो निराशा का दामन थाम उसे उजाले की और बड़ने को प्रयास करती है
ReplyDeleteहार्दिक आभार ऋतु जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१० जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteजीवन के सकारात्मक पहलू को उजागर करती
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