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Friday, March 1, 2019

काश न होती यह सरहदें

छूना न पाए सरहद कोई
मर-मिट जाते हैं वीर सपूत
सरहद की रखवाली करते
दुश्मन को करते चकनाचूर

वतन की खातिर ही जीते हैं
वतन की खातिर मिट जाते
देखें कोई आँख उठाकर
उसके लिए काल बन जाते

गर्व हमें हैं इन वीरों पर
अद्भुत इनकी मिशाल है  
 ढाल बने और खड़े हुए हैं
सरहद पर वीर जवान है

 वतन की शान की खातिर
बहा देते लहु अपना
सरहद पर सदा लहराए
तिरंगा के बसाए सपना

काश ना होती यह सरहदें
नफ़रतें बढ़ाती हैं यह सरहदें
बांटती है दिलों को सरहदें
इंसानों को बांटती है यह सरहदें

खींच कर लकीरें दिलों में
जातियों में बांटती सरहदें
कभी धर्म के नाम कभी जाति नाम
हमें आपस में लड़वाती सरहदें
***अनुराधा चौहान***

15 comments:


  1. खींच कर लकीरें दिलों में

    जातियों में बांटती सरहदें

    कभी धर्म के नाम कभी जाति नाम

    हमें आपस में लड़वाती सरहदें,....
    बहुत ही सुंदर रचना।

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    1. सहृदय आभार दीपशिखा जी

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  2. देश के वीर जांबाजों को शत शत नमन
    लाजवाब रचना....।

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  3. खींच कर लकीरें दिलों में
    जातियों में बांटती सरहदें
    कभी धर्म के नाम कभी जाति नाम
    हमें आपस में लड़वाती सरहदें
    बिलकुल सही कहा ,काश ये सरहदे ना होती ,बहुत सुंदर रचना ,स्नेह सखी

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  4. वतन की खातिर कुर्बान होते
    वतन की खातिर जीते ओर मरते
    देखें सरहद को कोई आँख उठाकर
    उसके लिए यह काल वन जाते....बहुत ख़ूब सखी
    सादर

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  5. काश ना होती यह सरहदें
    नफ़रतें बढ़ाती हैं यह सरहदें
    बांटती है दिलों को सरहदें
    इंसानों को बांटती है यह सरहदें
    सच कहा आदरणीया
    यथार्थ रचना।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार रवीन्द्र जी

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  6. देखें सरहद को कोई आँख उठाकर
    उसके लिए यह काल वन जाते.....बहुत ख़ूब

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  7. काश ना होती यह सरहदें
    नफ़रतें बढ़ाती हैं यह सरहदें
    बांटती है दिलों को सरहदें
    इंसानों को बांटती है यह सरहदें।
    सार्थक सृजन सखी।
    देश के प्रति सार्थक चिंतन।

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  8. हमारा आम -बान-शान वतन है।
    हम सबका ईमान वतन है।
    वाह बहुत सुंदर ।
    बेहतरीन रचना।

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