कुछ कहती हैं यह आँखें
भेद खोलती हैं यह आँखें
कभी हँसती कभी रोती
मन की बात बताती आँखें
आँखों आँखों में ही कितने
प्रीत के गीत सुनाती आँखें
कभी हँसती और मुस्काती
दिल का हाल बताती आँखें
मन का दर्पण बनती आँखें
चंचल-सी यह सुंदर आँखें
काजल-सी काली कजरारी
मन को बड़ा लुभाती आँखें
विरहा का दर्द छलकाती
दिल के घाव छुपाती आँखें
प्रिय से कर दिल की बातें
सजनी की शरमाती आँखें
ममता के रस में डूबी
आशीष का रस बरसाती
कभी पैनी नजर बनकर
दिल में गहरे उतर जाती आँँखें
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
अभी कहानी बहुत पड़ी है, क्या-क्या कर जातीं, ये आँखें,
ReplyDeleteघायल करतीं, घात लगातीं, कभी खून बरसातीं आँखें.
जी सही कहा आपने आभार आदरणीय
Deleteआँखों का कमाल आँखें ही जानती हैं ...
ReplyDeleteअच्छी रचना है ...
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन सखी
ReplyDeleteसादर
सहृदय आभार सखी
Deleteबहुत खूब प्रिय अनुराधा बहन | आँखों ने दुनिया में क्या ना किया ? मन छिपाता है तो ये आँखें भेद खोल देती हैं | सुंदर रचना | सस्नेह
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत बहुत आभार शिवम् जी
ReplyDeleteसुन्दर प्रयास । आँखों की दास्ताँ .... शायद अकथ्य है। शब्दों से परे। भावों से जुड़े ।
ReplyDeleteसहृदय आभार आदरणीय
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अनीता सैनी
सहृदय आभार सखी
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
ReplyDelete👌 👌 बेहतरीन सृजन अनुराधा जी. बधाई
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसहृदय आभार ऋतु जी
Deleteबहुत खूब ...मंगलकामनाएं !
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