शक्ति
विश्वास की
प्यार के एहसास की
हमें नहीं झुकने देती
ज़िद के आगे तूफ़ान की
शक्ति
परिवार की
एकता के आधार की
कभी नहीं बहने देती
नफ़रत के सैलाब में
शक्ति
शिक्षा की
हमारे आत्मज्ञान की
कभी नहीं हटने देती
हमको अपने ईमान से
शक्ति
मानव धर्म की
सबसे अलग रखती
मिट जाए भले तन
दिलों में जिंदा रखती
शक्ति
मित्रता की
बनती हमेशा ढाल
धूप हो या बारिश
बनकर रहती साया साथ
शक्ति
धर्म की
सबको जोड़ती
जब होता दुरुपयोग
तो समाज को तोड़ती
शक्ति
प्यार की
सबको गले लगाए
पिघलाए पत्थर दिल भी
मोम-सा नरम बनाए
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
वाह !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन
धन्यवाद रवीन्द्र जी
Deleteबेहतरीन रचना सखी,सादर स्नेह
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 8 मई 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय आभार पम्मी जी
Deleteबेहतरीन प्रिय सखी
ReplyDeleteसादर
सहृदय आभार सखी
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