युग बदला रीत बदली
इस दुनिया में प्रीत बदली
संस्कारों की झोली खाली
बंद अलमारी किताबों वाली
रीति-रिवाज दकियानूसी
होते संस्कार अब मशीनी
इंग्लिश बनी दिल की रानी
संबंधों की महत्ता भुला दी
चाचा,मामी शब्द पुराने लगते
अंकल,आंटी में सिमटे रिश्ते
बच्चे भी बेबी,पति-पत्नी भी बेबी
रिश्तों का यह गणित बड़ा हेवी
नमस्कार की जगह हाय,बाय,टाटा
हिंदी संस्कारों पर लगा चांटा
बातचीत के बोल सिमट गए
टुकड़ों में सब शब्द सिमट गए
मोहब्बत भी चार दिन वाली
नहीं बनी तो तलाक की बारी
पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता महत्व
भारतीय संस्कारों का करता दहन
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
मोहब्बत भी चार दिन वाली
ReplyDeleteनहीं बनी तो तलाक की बारी
पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता महत्व
भारतीय संस्कारों का करता दहन
बहुत खूब
सहृदय आभार सखी
Deleteपाश्चात्य संस्कृति का बढता महत्व
ReplyDeleteभारतीय संस्कारों का करता दहन
संस्कारों की झोली खाली
बंद अलमारी किताबों वाली
यथार्थ जीवन का प्रस्तुत करती रचना
सहृदय आभार सखी
Deleteवाह!!बहुत सुंदर सखी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteसहृदय आभार सखी
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति सखी।
ReplyDeleteसम सामायिक बदलते चिंतन और सोच पर ।
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteiwillrocknow.com
जी अवश्य... धन्यवाद
Deleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteबहुत खूब... सटीक...
ReplyDeleteवाह!!!
सस्नेह आभार सखी
Deleteसंस्कारों का दहन गर्त में ही ले जा रहा है उन्सान को ... स्वछन्द जीवन संस्कारों के साथ न हो तो बे-लय हो जाता है ..
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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