माँ
तेरे लिए
कुछ लिखने चलूँ
तो शब्द कम पड़ जाते हैं
माँ इस
छोटे अल्फाज़ में
सारे सुख
सिमट जाते है
माँ तू खुद में पूर्ण है
धूप में
शीतल छाँव है
कष्ट में
मखमली अहसास है
माँ
तुझसे ही हर दिन है
मेरी
हर इक श्वास है
तेरे लिए कोई
ख़ास दिन नहीं
पर माँ तुझसे ही
मेरा
हर दिन ख़ास है
अनुराधा चौहान'सुधी'✍️
चित्र गूगल से साभार
बहुत ही सुन्दर सृजन।🌻♥️
ReplyDeleteहार्दिक आभार शिवम् जी
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१० -०५ -२०२१) को 'फ़िक्र से भरी बेटियां माँ जैसी हो जाती हैं'(चर्चा अंक-४०६१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार सखी
Deleteमां को समर्पित बहुत ही भावपूर्ण रचना ।आपको सादर शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जिज्ञासा जी
Delete"..
ReplyDeleteमाँ
तुझसे ही हर दिन है
मेरी
हर इक श्वास है
...."
इस पंक्ति से मैं भावुक हूँ। छोटी पर बहुत सुन्दर रचना रची है आप। बेहतरीन।
हार्दिक आभार प्रकाश जी।
Deleteवाह भावना का अथाह सागर है आपकी इस छोटी सी रचना में। बहुत सुंदर सृजन सखी।
ReplyDeleteमातृ दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
हार्दिक आभार सखी
Deleteक्या बात कही है अनुराधा जी..वाह।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteसच है माँ ख़ास होती है हर दिन को ख़ास कर जाती है ...
ReplyDeleteउसके लिए एक दिन नहीं सारे दिन सामान हैं ...
जी सही कहा आपने.!हार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteमाँ , की व्याख्या नहीं हो सकती । सुंदर रचना ।
ReplyDeleteसहृदय आभार आदरणीया
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