Sunday, May 27, 2018

रिश्ते अनमोल है


आज कल के रिश्ते
ओस की बूंदों जैसे
मतलब की धूप क्या लगी
मुरझा जाते हैं झट से
वजह यही है वक़्त नहीं है
रिश्तों की अहमियत नहीं है
देना चाहिए उनको वक़्त
आज-कल रहते हैं सब व्यस्त
रिश्तों बिना कैसी है ज़िंदगी
जीवन में नहीं मिलती खुशी
वक़्त निकालो अपनों के लिए
साथ रहो कुछ लम्हों के लिए
मिलकर देखो रिश्तों के संग
जिंदगी में बहुत खूबसूरत हैं रंग
रिश्तों के बिना सूना है जीवन
जूझता अकेलेपन से फ़िर मन
समय रहते रिश्तों में जी लो
थाम लो इन नाजुक बंधनों को
हमको रिश्ते देती भी जिंदगी है
हमसे रिश्ते लेती भी जिंदगी है
***अनुराधा चौहान***


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