ओस की बूंदों सी
चमकती हुई,
आंगन में उतरी हूं
मैं एक नन्ही परी।
पापा मुझे देख
तुम उदास न होना,
गोद में उठा कर
ढ़ेरों आशीष देना।
भरूंगी खुशियों से
मैं आपका जीवन,
बस अपने सीने से
मुझे लगा लेना।
समझेंगे मुझे आप
जरूर एक दिन,
वादा है आपसे
हर फर्ज निभाऊंगी।
रौशन जहां में जब
आपका नाम होगा,
बेटी का बाप होने का
आपको गुमान होगा।
साथ मेरा रहेगा सदा आपको,
जीवन में कभी भी
न भुला पाऊंगी में।
डोली में बैठकर
जब चली जाऊंगी मैं,
बेटे से ज्यादा याद आऊंगी में।
अपने पापा की लाडली कहलाऊंगी में
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
Very nice
ReplyDeleteThanks
DeleteVery heart ♥ touching poem for Jagdish bahisahab.Iloved it reading.
ReplyDeleteThank you so much
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