मकां तो सब बनाते हैं
खूब शान से सजाते हैं
रखते हैं हर साधन
धन भी खूब लगाते है
रंगते है महंगे कलर से
प्यार का रंग नहीं भरते
मकां तो सब बनाते हैं
पर घर नहीं बनाते हैं
घर बनता है प्यार से
घर बनता है एहसास से
घर की नींव होती है माँ
जो बांधती है रिश्तों को
भावनाओं की दिवारों से
रंगती प्यार के रंग से
संस्कारों की महक भरती
पिता घर की छत जैसे
बचाते गम की धूप से
मुश्किल की जो बारिश हो
छा जाते है छतरी से
माँ बाप की छाया में
कई रिश्ते पनपते हैं
वो भरते रंग हैं घर में
मकां को घर बनाते हैं
अगर रिश्ते न हो घर में
वह घर नहीं मकां होता
मकां तो सब बनाते हैं
पर घर नहीं बनाते हैं
***अनुराधा चौहान***
खूब शान से सजाते हैं
रखते हैं हर साधन
धन भी खूब लगाते है
रंगते है महंगे कलर से
प्यार का रंग नहीं भरते
मकां तो सब बनाते हैं
पर घर नहीं बनाते हैं
घर बनता है प्यार से
घर बनता है एहसास से
घर की नींव होती है माँ
जो बांधती है रिश्तों को
भावनाओं की दिवारों से
रंगती प्यार के रंग से
संस्कारों की महक भरती
पिता घर की छत जैसे
बचाते गम की धूप से
मुश्किल की जो बारिश हो
छा जाते है छतरी से
माँ बाप की छाया में
कई रिश्ते पनपते हैं
वो भरते रंग हैं घर में
मकां को घर बनाते हैं
अगर रिश्ते न हो घर में
वह घर नहीं मकां होता
मकां तो सब बनाते हैं
पर घर नहीं बनाते हैं
***अनुराधा चौहान***
बहुत ही शानदार रचना।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा .......लाजवाब।
बहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी
Deleteअच्छी रचना। भावनाओं की कसौटी पर खरी उतरी।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteसही कहा है घर प्रेम और आधार से बनता है ...
ReplyDeleteमाँ के स्नेह से ... रिश्तों से स्नेह से ।।.
भावपूर्ण रचना है ।।।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteअगर रिश्ते न हो घर में
ReplyDeleteवह घर नहीं मकां होता
मकां तो सब बनाते हैं
पर घर नहीं बनाते हैं
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।
धन्यवाद ज्योती जी
Deleteजी अवश्य पम्मी जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना का"पांच लिंकों का आनंद में"स्थान देने के लिए 🙏
ReplyDeleteवाह!! बहुत ही लाजवाब रचना ,खूबसूरत भावों से भरी..प्रिय सखी ..।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सखी 🙏🙏
Deleteधन्यवाद आदरणीय अमित जी
ReplyDeleteआजकल तो सब मकान ही बना रहे हैं....मकान बनाने की जद्दोजहद में घर खो गए हैं। आपने यथार्थ को सुंदर अभिव्यक्ति दी है इस रचना में....
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