नारी को बेचारी समझना
यह भूल तुम्हारी है
हां हम नारी हैं
तूफानों से टकरातीं हैं
कभी न रुकना
फितरत हमारी है
गर्व हमें है खुद पर
कि हम नारी हैं
नारी पर आश्रित
यह दुनिया सारी है
हां हम नारी हैं
माँ बहन
बेटी और पत्नी
न जाने कितने
रुपों को हम जीते
संकट परिवार आए
तो पीछे न हटते
हम ही दुर्गा हैं
काली कल्याणी हैं
हां हम नारी हैं
हम हड़ताल करने
पर जब भी उतर जाए
घर में सब तरफ
उथल-पुथल मच जाए
एक साथ कई काम
हमारी पहचान है
कितने भी बीमार हो
करते फिर भी काम है
मुस्कान मुख पर हरदम
नहीं कभी आराम है
फिर भी सबसे ज्यादा
नाकारा हम ही समझी जाते
थकान से चूर है
फिर भी काम करते हैं
घर बैठे सारे दिन
हम ही आराम करते हैं
क्यों किसी से झुकें
खुद को कम समझे
हां हम नारी हैं
पर यह मत समझो
हम अबला बेचारी हैं
हम नहीं किसी से कम
हम तो वो नारी हैं
जो पुरुषों पर भारी है
हर क्षेत्र मेंआगे रहती
मुश्किल में नहीं घबराती
हरदम टूटते सपने
फिर भी न हताश होते
मुश्किलों में अटल खड़े
यही खूबी हमारी है
हां हम नारी हैं
कभी न रुकना
फितरत हमारी है
***अनुराधा चौहान***
यह भूल तुम्हारी है
हां हम नारी हैं
तूफानों से टकरातीं हैं
कभी न रुकना
फितरत हमारी है
गर्व हमें है खुद पर
कि हम नारी हैं
नारी पर आश्रित
यह दुनिया सारी है
हां हम नारी हैं
माँ बहन
बेटी और पत्नी
न जाने कितने
रुपों को हम जीते
संकट परिवार आए
तो पीछे न हटते
हम ही दुर्गा हैं
काली कल्याणी हैं
हां हम नारी हैं
हम हड़ताल करने
पर जब भी उतर जाए
घर में सब तरफ
उथल-पुथल मच जाए
एक साथ कई काम
हमारी पहचान है
कितने भी बीमार हो
करते फिर भी काम है
मुस्कान मुख पर हरदम
नहीं कभी आराम है
फिर भी सबसे ज्यादा
नाकारा हम ही समझी जाते
थकान से चूर है
फिर भी काम करते हैं
घर बैठे सारे दिन
हम ही आराम करते हैं
क्यों किसी से झुकें
खुद को कम समझे
हां हम नारी हैं
पर यह मत समझो
हम अबला बेचारी हैं
हम नहीं किसी से कम
हम तो वो नारी हैं
जो पुरुषों पर भारी है
हर क्षेत्र मेंआगे रहती
मुश्किल में नहीं घबराती
हरदम टूटते सपने
फिर भी न हताश होते
मुश्किलों में अटल खड़े
यही खूबी हमारी है
हां हम नारी हैं
कभी न रुकना
फितरत हमारी है
***अनुराधा चौहान***
बहुत सुन्दर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteनारी का स्वाभिमान ही नारी का अलंकार है
जिसे बखूबी शब्द दिये आप ने 👏👏👏
बहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है
Deleteवाह बहुत खूब! सत्य कथन ,संसार की हर शै का दरोमदार है हमी से।
ReplyDeleteसार्थक रचना ।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए 🙏
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-09-2018) को "शिक्षक दिवस, ज्ञान की अमावस" (चर्चा अंक-3085) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत बहुत धन्यवाद राधा जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए 🙏
Deleteयथार्थ का सजीव चित्रण
ReplyDeleteनारी ही जीवन का आधार स्तम्भ हैं
शत शत नमन
कालजयायी रचना
धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteमुश्किलों में अटल
ReplyDeleteखड़े रहना यह
खूबी हमारी है
हां हम नारी हैं
कभी न रुकना
फितरत हमारी है....एक स्वाभिमानी स्त्री के संकल्प को प्रस्तुत करती सुंदर रचना
जी बहुत बहुत आभार आपका 🙏
Deleteराष्ट्रकवि पहले ही कह चुके हैं - एक नहीं, दो-दो मात्राएँ, नर से भारी नारी' बहुत ख़ूब अनुराधा जी.
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय 🙏
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