मैं तेरा मीत बनूं
तुम आँख बंद करो
मै सपने बुनूं
तुम उन्हें शब्द दो
मै इन्हें लिखू
तुम धुन गुनगुनाओ
मै गीत लिखूं
तुम इन्हें सुर दो
मै साज बनूं
तुम मन की वीणा
मै तार बनूं
तुम मेरा जीवन
मै संगीत बनूं
तू मेरी मितवा
मै तेरा मीत बनूं
प्यार से जहां में तेरे
मै अपनी प्रीत भरूं
***अनुराधा चौहान***
शानदार 👌👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद नीतू जी
Deletebehtareen....khoobsoorat bhavon se bhari rachna ji...
ReplyDeleteThanks Prashant Ji
Deleteप्रेम रस से भीगी हुई सुंदर कविता
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार
Deleteबहुत सुंदर अनुराधा जी उच्चतम समर्पित भाव ।
ReplyDeleteधन्यवाद कुसुम जी
Deleteबहुत खूबसूरत रचना अनुराधा जी
ReplyDeleteधन्यवाद पूजा जी
Deleteबहुत सुन्दर.....,
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteसुहाना स्वप्न संगीत
ReplyDeleteधन्यवाद इंदिरा जी
Deleteधन्यवाद सुमन जी
ReplyDeleteअतिसुन्दर
ReplyDeleteप्रेम से ओतप्रोत रचना
धन्यवाद अमित जी
ReplyDeleteकितनी ख़ूबसूरत और कोमल अभिव्यक्ति - बधाई
ReplyDeleteMasha alla
ReplyDeleteThanks
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १० सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/09/86.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबेहतरीन
सादर
बहुत बहुत आभार यशोदा जी
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteप्रिय अनुराधा जी -- छोटी सी मधुर रचना मन मीत के नाम !!!!!!!! हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रेणू जी
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