कहां छिपे हों गिरधर नागर
नदियां सूखी रीति गागर
मानवता की सुन लो पुकार
बढ़ा चहुं ओर अत्याचार
नदियां सूखी रीति गागर
मानवता की सुन लो पुकार
बढ़ा चहुं ओर अत्याचार
दर्शन दो श्री बनवारी
कहां छिपे हों कृष्ण मुरारी
त्राहि-त्राहि करे जनता सारी
बढ़ गए चहुं ओर भ्रष्टाचारी
कहां छिपे हों कृष्ण मुरारी
त्राहि-त्राहि करे जनता सारी
बढ़ गए चहुं ओर भ्रष्टाचारी
आओ अब सुदर्शन धारी
चैन पड़े न अब गिरधारी
बढ़ गए चहुं ओर दुराचारी
कृपा करो श्री बनवारी
चैन पड़े न अब गिरधारी
बढ़ गए चहुं ओर दुराचारी
कृपा करो श्री बनवारी
मासूम हंसी मुरझाने लगी हैं
कलियां खिलते ही मरने लगी हैं
इससे भी ज्यादा बुरा क्या होगा
जब नारी का जीवन न होगा
कलियां खिलते ही मरने लगी हैं
इससे भी ज्यादा बुरा क्या होगा
जब नारी का जीवन न होगा
सबके कष्ट मिटाने वाले
मनमोहन मुरलिया वाले
धरती की संताप हरो तुम
लेलो अब अवतार हे कृष्ण
***अनुराधा चौहान***
मनमोहन मुरलिया वाले
धरती की संताप हरो तुम
लेलो अब अवतार हे कृष्ण
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
सुंदर. :)
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका
ReplyDeleteअनुराधा जी !
ReplyDeleteभगवान को पुकारने और गुहारने के दिन गुज़र गए. अब तो हमको अपन भाग्य बदलने के लिए ख़ुद ही सब कुछ करना होगा. दैन्य-भाव से भगवान की कृपा के लिए गिड़गिड़ाते सूरदास को कुछ नहीं मिला फिर वो ताल थोक कर बोले -
'आज हौं, एक-एक करि टरिहों,
कै हमहीं, कै तुम्हीं माधव,
अपने भरोसे लरिहौं.'
फिर उन्हें सदा-सदा के लिए माधव की कृपा और उनका प्रेम, दोनों ही मिल गए.
जी बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर आदरणीया
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteव्यथित मन की गुहार ..
ReplyDeleteअब तो माधव मोहे उबार ..
बहुत बहुत आभार नुपुर जी
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