बसंती हवाओं में
झूमतीं फसलें
महकती अमराई
सूरज की किरणों से
धरती इठलाई
पीले लहराते
सरसों के खेत
जैसे पीली चूनर
ओढ़कर गोरी
झूम उठी
साजन से मिलकर
धूप ने भी
बदले हैं कुछ तेवर
लगती है अब
थोड़ी गरमाती
कोयल कूह-कूह
का मधुर गीत सुनाती
फूलों के ऊपर
मोती-सी
बिखरी ओस की बूँदें
सूरज की
किरणों से शरमातीं
बसंत ऋतु में
प्रकृति का
अनुपम नजारा
होता है
बहुत ही प्यारा
रंग बिरंगे फूलों पर
भंवरों की गुनगुनाहट
त्यौहारों की सौगात
लेकर आया है ऋतुराज
***अनुराधा चौहान***
झूमतीं फसलें
महकती अमराई
सूरज की किरणों से
धरती इठलाई
पीले लहराते
सरसों के खेत
जैसे पीली चूनर
ओढ़कर गोरी
झूम उठी
साजन से मिलकर
धूप ने भी
बदले हैं कुछ तेवर
लगती है अब
थोड़ी गरमाती
कोयल कूह-कूह
का मधुर गीत सुनाती
फूलों के ऊपर
मोती-सी
बिखरी ओस की बूँदें
सूरज की
किरणों से शरमातीं
बसंत ऋतु में
प्रकृति का
अनुपम नजारा
होता है
बहुत ही प्यारा
रंग बिरंगे फूलों पर
भंवरों की गुनगुनाहट
त्यौहारों की सौगात
लेकर आया है ऋतुराज
***अनुराधा चौहान***
बहुत ही सुंदर..
ReplyDeleteऋतुराज का वर्णन।
धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह !!सखी बहुत ख़ूब
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteवाह सखी !!!! सुंदर बासंती चित्र के साथ शब्दों में खिलता ऋतुराज बहुत मनभावन है | शब्दों के बसंत अक्षुण हों सखी | मेरी यही कामना है | सस्नेह
ReplyDeleteसस्नेह आभार प्रिय रेणु जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति सखी !
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteसुंदर प्रकृति वर्णन सरस सहज रचना बासंती महक लिये ।
ReplyDeleteप्रकृति और वसंत की अनुपम छटा बिखेरती बहुत ही सुन्दर रचना।
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