Wednesday, January 30, 2019

ऋतुराज वसंत

बसंती हवाओं में
झूमतीं फसलें
महकती अमराई
सूरज की किरणों से
धरती इठलाई
पीले लहराते
सरसों के खेत
जैसे पीली चूनर
ओढ़कर गोरी
झूम उठी
साजन से मिलकर
धूप ने भी
बदले हैं कुछ तेवर
लगती है अब
थोड़ी गरमाती
कोयल कूह-कूह
का मधुर गीत सुनाती
फूलों के ऊपर
मोती-सी
बिखरी ओस की बूँदें
सूरज की
किरणों से शरमातीं
बसंत ऋतु में
प्रकृति का
अनुपम नजारा
होता है
बहुत ही प्यारा
रंग बिरंगे फूलों पर
भंवरों की गुनगुनाहट
त्यौहारों की सौगात
लेकर आया है ऋतुराज
***अनुराधा चौहान***

12 comments:

  1. बहुत ही सुंदर..
    ऋतुराज का वर्णन।

    ReplyDelete
  2. वाह !!सखी बहुत ख़ूब
    सादर

    ReplyDelete
  3. वाह सखी !!!! सुंदर बासंती चित्र के साथ शब्दों में खिलता ऋतुराज बहुत मनभावन है | शब्दों के बसंत अक्षुण हों सखी | मेरी यही कामना है | सस्नेह

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार प्रिय रेणु जी

      Delete
  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

      Delete
  5. सुन्दर भावाभिव्यक्ति सखी !

    ReplyDelete
  6. सुंदर प्रकृति वर्णन सरस सहज रचना बासंती महक लिये ।

    ReplyDelete
  7. प्रकृति और वसंत की अनुपम छटा बिखेरती बहुत ही सुन्दर रचना।

    ReplyDelete