सरल सौम्य उसकी हंँसी
आंँगन में उससे ख़ुशी
घर में रहती है हलचल
उसकी पायल की
छम-छम से
पकवानों की
खुशबू उड़ती
रसोईघर से निकलकर
माथे पर पसीना लिए
तकलीफ़ों को सहती
सुंदर से मुखड़े पर
हंँसी हरदम रहती
आँखों से उसकी
ममता का रस
छलकता है
उसके आंँचल की छांँव तले
बचपन फूलों-सा खिलता है
हर धूप-छांँव से
रखती बचाकर
गोद में अपनी बिठाकर
संस्कारों का पाठ पढ़ाती
सबके जीवन को
खुशियों से सजाती
सीधी-सरल भोली सी
माँ होती है बड़ी ही प्यारी
कष्टों को खुद सह लेती
पर हम पर ममता बरसाती
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत ही सुन्दर सृजन सखी
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteसच कहा आपने ......आदरणीया
हार्दिक आभार रवीन्द्र जी
Deleteमातृदिवस की शुवकमनाएं अनुराधा जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ऋतु जी
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