प्रेम का कोई दिन नहीं
प्रेम का कोई माह नहीं
प्रेम आत्मा की आवाज है
प्रेम सृष्टि का आधार हैं
यह एक सुखद एहसास है
बंधी डोर रिश्तों की प्रेम से
मिट जाते कलह क्लेष सब
प्रेम हृदय की आवाज़ है
भावनाओं का सम्मान है
अंधेरे मन का उजाला है
प्रेम कोई शब्द नहीं
ख़ामोश आँखो की जुबां है
प्रेम अथाह सागर है
यह साधना है त्याग है
प्रेम ईश्वर का वरदान है
दर्द का मरहम है प्रेम
टूटे दिलों को जोडे
वह पावन बंधन है यह
आँखें कहती प्रेम की भाषा
सुंदर पावन यह परिभाषा
निर्मल झरने-सा प्रवाह है प्रेम
दिल की गहराईयों में बसा प्रेम
प्रेम वासना नहीं समर्पण है
दिल से दिल को अर्पण है
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
आपकी लिखी रचना सोमवार. 14 फरवरी 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
हार्दिक आभार आदरणीया।
Deleteप्रेम कोई शब्द नहीं
ReplyDeleteख़ामोश आँखो की जुबां है
प्रेम अथाह सागर है
यह साधना है त्याग है
प्रेम ईश्वर का वरदान है
सही कहा प्रेम का कोई दिवस नहीं।
लाजवाब सृजन।
हार्दिक आभार सखी।
Deleteसच में प्रेम का कोई नहीं
ReplyDeleteपरिस्थितियों और भावनाओं का आलोड़न ही केंद्र बिंदु है।
सुंदर अभिव्यक्ति।
सस्नेह।
हार्दिक आभार श्वेता जी।
Deleteनिर्मल झरने-सा प्रवाह है प्रेम
ReplyDeleteदिल की गहराईयों में बसा प्रेम
प्रेम वासना नहीं समर्पण है
दिल से दिल को अर्पण है///
बहुत ही सरल शब्दों में पेम की सुंदर परिभाषा अनुराधा जी | प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई |
हार्दिक आभार सखी।
Deleteनिर्मल झरने-सा प्रवाह है प्रेम
ReplyDeleteदिल की गहराईयों में बसा प्रेम
प्रेम वासना नहीं समर्पण है
दिल से दिल को अर्पण है
प्रेम को पुर्णता प्रदान करतीं सुन्दर सृजन सखी 🙏
हार्दिक आभार सखी
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