समय अपनी रफ्तार से भागता है
पता ही नहीं चलता
जीवन की यह गाड़ी कब
ज़िंदगी का
सुहाना सफर छोड़कर
एक अनजाने अनचाहे
सफ़र पर चल पड़ती है
जहाँ एक-एक करके
दूर होते जाते अपने
हाथों से हाथ छूटने लगता
यह कैसा मोड़ ले जाती ज़िंदगी
जहाँ हार सिर्फ हार दिखाई देती
उम्मीद की किरण धूमिल हो जाती
यही शाश्वत सत्य है ज़िंदगी का
जहाँ आकर
हर इंसान हार जाता है
मृत्यु पर किसी का
बस नहीं चलता
चोट पर चोट लगती जाती है
फिर भी खड़े होकर कर्म करते जाना
यही मानव जीवन की नियति है
कहते हैं सब हिम्मत से काम लो
रुको मत आगे बढ़ो
यादों को साथ लेकर
दुनियाँ तो आनी-जानी है
जीवन मृत्यु की कहानी है
मुश्किल होता है संभलना
इस खालीपन को जीना
बहार में भी पतझड़-सी ज़िंदगी
वृक्ष से शाखाओं का गिरना
सारी रौनकें लेकर
निकल जाता वक़्त
हम कोसते रह बस उस जाते लम्हे को
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
सहृदय आभार आदरणीय
ReplyDeleteसब आना जाना है ... कर्म करते जाना है ...
ReplyDeleteयही साध है जीवन की ... अच्छी रचना ...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteजीवन चक्र का बेहद हृदयस्पर्शी अंकन ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजीवन जीने के नाम है....
ReplyDeleteजी धन्यवाद आदरणीय
Delete