चूड़ी बिंदिया कुमकुम पायल
नारी के जीवन श्रृंँगार बना
जिसकी खातिर हमेशा नारी ने
अपने सपनों को बलिदान दिया
जकड़ी रही हरदम वो
रिश्ते-नाते की जंजीरों में
पर झुकी नहीं टूटी नहीं
डटकर चुनौतियों से लड़ती रही
रीति-रिवाज की तोड़ बेड़ियाँ
ज्यों ही उसने दहलीज लांघी
अपने बुलंद हौसले से जल्दी
दुनियाँ में अपनी पहचान बना ली
क्या धरती क्या अंबर
वो अंतरिक्ष में भी जा पहूंँची
गृहकार्य हो या रणभूमि
नारी शक्ति की जय गूंजी
नहीं डरती आज की नारी
वो तो मिराज विमान उड़ा आई
दुश्मन के घर में घुसकर
आतंकियों को मार गिरा आई
नारी ने अपनी पहचान बनाई
आज की नारी सब पर भारी
वो अब किसी से नहीं डरने वाली
वो अगर जन्मदात्री है अन्नपूर्णा है
तो दुर्गा है काली कल्याणी है
***अनुराधा चौहान***
नारी के जीवन श्रृंँगार बना
जिसकी खातिर हमेशा नारी ने
अपने सपनों को बलिदान दिया
जकड़ी रही हरदम वो
रिश्ते-नाते की जंजीरों में
पर झुकी नहीं टूटी नहीं
डटकर चुनौतियों से लड़ती रही
रीति-रिवाज की तोड़ बेड़ियाँ
ज्यों ही उसने दहलीज लांघी
अपने बुलंद हौसले से जल्दी
दुनियाँ में अपनी पहचान बना ली
क्या धरती क्या अंबर
वो अंतरिक्ष में भी जा पहूंँची
गृहकार्य हो या रणभूमि
नारी शक्ति की जय गूंजी
नहीं डरती आज की नारी
वो तो मिराज विमान उड़ा आई
दुश्मन के घर में घुसकर
आतंकियों को मार गिरा आई
नारी ने अपनी पहचान बनाई
आज की नारी सब पर भारी
वो अब किसी से नहीं डरने वाली
वो अगर जन्मदात्री है अन्नपूर्णा है
तो दुर्गा है काली कल्याणी है
***अनुराधा चौहान***
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/03/112.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteनारी युग की पहचान है ...
ReplyDeleteशश्रृष्टि नहीं जो नारी नहीं ... जीवन दाई है शक्ति है प्रकाश है ...
धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह !!बहुत सुंदर रचना ,सखी
ReplyDeleteबेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteसादर
सहृदय आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर मर्मस्पर्शी सृजन अनुराधा जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार श्वेता जी
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