Tuesday, June 25, 2019

मोबाइल की लीला

मोबाइल इक विकट बीमारी
जिसमें लिपटी दुनिया सारी
गप्पे-शप्पे भूल गए अब
शतरंज,कैरम छूट गए सब
हँसी-ठिठोली बन गई सपना
मोबाइल ही अब सबका अपना
दादा-दादी बोर हैं लगते
मम्मी-पापा खुद फोन में जकड़े
बच्चों की तो हाई-फाई बात
आधुनिकता का है यह कमाल
जो कुछ भी,कभी भी हो ढूँढना 
मोबाइल में है पूरी दुनिया
बचपन भूला बाहर खेलना
मोबाइल से अच्छा कोई खेल ना
मोटे-मोटे चश्में पहने
इयरफोन कानों में लटके
मोबाइल ने दिए यह गहने
कहानी-किस्से दम तोड़ रहे
अंताक्षरी को सब भूल गए
जिसके हाथ देखो मोबाइल
लुका-छिपी चोर-सिपाही
बच्चों के अब खेल नहीं है
चंपक,नंदन,लोटपोट जो
हम सबकी कॉमिक्स थी प्यारी
बच्चों को तो मोबाइल गेम की
लगी हुई है बड़ी बीमारी
सुविधाजनक है फोन बड़ा
पर उतना ही गहरा इसका नशा
एक बार जो फसा चंगुल में
फिर कभी-भी न बाहर निकल सका
मोबाइल की लीला अपरम्पार
हर कोई देखो बना है गुलाम
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

8 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना , आज की भयावह सच्चाई को दर्शाता

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  2. सटीक सखी बहुत सही चिंतन देती रचना।

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  3. बेहतरीन रचना सखी 👌

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