काम बड़े कर जातीं
वर्षा की बूँदे
वर्षा की बूँदे
संग्रहित होकर
पोखर,नदियों को भरती हुई
जाकर मिलती सागर के जल में
सृजन करती धरती पर जीवन
प्रकृति को हरियाली देतीं
ओस की बूँदें
फूलों को ताजगी देती
धूप की छुअन से पिघलकर
दूर्वा में समाकर
पैरों को शीतल रखतीं
मन को सुखद का अहसास देतीं
एक बूँद रक्त की
सृजन करती गर्भ में जीवन का
सृजन करती सृष्टि का
कभी-कभी रक्त की बूँदे
बनती कारण संहार का
आँसुओं की बूँदे
सुख में निकले तो आशीष देती
दुःख और क्रौध के आवेश में
निकलकर बहती
तो प्रलय का संकेत देती
घोर विपदा का कारण बनती
बूँदों का अस्तित्व छोटा मगर
काम बड़े कर जातीं
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
वाह बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबुंद बुंद मिल सागर बनती
बुंद बुंद घट खाली।
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteअनुराधा जी आपने बूंद के महत्व को बड़े सुंदरता से प्रस्तुत किया है
ReplyDeleteहृदय से आभारी हूँ ऋतु जी
Deleteनमस्कार !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 8 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सहृदय आभार मीना जी
Deleteबहुत सुंदर रचना अनुराधा जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteबहुत सुदंर
ReplyDeleteसहृदय आभार मनीषा जी
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