Wednesday, May 20, 2020

कोरोना हारे भारत जीते

पीने की खातिर मधुशाला
तुम नियम सारे भूल गए
वो जान बचाने की खातिर
अपने घर को भूल गए
कुछ तो सोचा होता तुमने
जो दिन-रात पहरा देते हैं
तुम स्वस्थ रहो अपने घर में
वो धूप में निश दिन जलते 
स्वच्छ रहे गलियाँ सारी
न हो किसी को यह बीमारी
वो जान हथेली पर लेकर
दिन-रात सफाई करते हैं।
जब रोग का दर्द सताने लगे
वो नर्म हाथों से सहलाती हैं
बच्चों की छवि आँखों में बसी 
फिर भी हमको बहलाती हैं
वो भूले अपनी खुशियों को
घर के खाने की खुशबू को
वो धर्म निभाते हुए हरपल
जान पे अपनी खेल रहे
क्यों देते उनको त्रास सभी
क्यों पत्थर उनपे उठाते हो
वो मानवता के देव पुरुष
कोरोना से टकरा रहे हैं
जो हाथ तुम्हारी ढाल बने
उन हाथों पर ही वार किए
कुछ तो सोचो कुछ शरम करो
मत अपनी जान के शत्रु बनो
कामकाज जो बंद हुआ
उसका कोई राज न गहरा है
कोरोना हमको डस न सके
इसलिए ही बढ़ता पहरा है
जहरीला है यह रोग बड़ा
मिलती नहीं कहीं कोई दवा
कोरोना योद्धा संग मिलकर
यह जंग हमें भी लड़ना है
कोरोना भागे भारत जीते
यह संकल्प हमें उठाना है
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार

2 comments:

  1. काश हर कोई ये संकल्प ले ... जुड़ जाये इस युद्ध में .. सब साथ साथ हों ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी तभी यह लड़ाई जीतना आसान होगा.. सहृदय आभार आदरणीय।

      Delete