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Monday, May 30, 2022

ओस के मोती


जो सुने गीत हम चले आये।
बाँधकर प्रीत साथ में लाए॥

दो घड़ी पास में जरा बैठो।
बीतती रात रागिनी गाये॥

मौन हो आज पायलें बैठी।
चूड़ियाँ भी न भेद बतलाये॥

चाँद भी रूप ले सजीला सा।
झील को देख आज इतराये॥

छेड़ते राग पात पीपल भी।
मोहिनी गंध ले खुशी छाये॥

ज्यों खिली भोर तो कली फूली।
देखकर रूप भृंग इठलाये॥

तू सुधी बीन ओस के मोती 
धूप के ताप में न उड़ जाये॥
*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार

14 comments:

  1. 'तू सुधी बीन ओस के मोती,
    धूप के ताप में न उड़ जाए'
    वाह !

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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  2. वाह!भावपूर्ण चूड़ियाँ वाली पंक्ति में बतलाएँ कहना पड़ेगा

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    1. जी हार्दिक आभार आदरणीय।

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  3. सुंदर सृजन

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

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  4. हार्दिक आभार ज्योति जी।

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 1 जून 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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    1. जी हार्दिक आभार आदरणीया।

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  6. वाह ! बहुत सुंदर सजीली मनहर रचना ।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।

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  7. बहुत सुंदर रचना ।
    भोर का सुंदर दृश्य उपस्थित हो गया ।

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  8. छेड़ते राग पात पीपल भी।
    मोहिनी गंध ले खुशी छाये॥
    ज्यों खिली भोर तो कली फूली।
    देखकर रूप भृंग इठलाये॥///
    सुन्दर शृंगार रचना प्रिय अनुराधा जी 👌👌🙏

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    1. हृदयतल से आभार सखी 🌹

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