Saturday, July 28, 2018

ऋतु सावन

मनभावन ऋतु सावन आई
संग अपने खुशहाली लाई
चहुं ओर बिखरी हरियाली
हरियाली की देख के शोभा
मस्त मगन सब झूम उठे
देख के उनका यह नर्तन
थिरक उठी नन्ही बूंदें भी
चली पवन पुरवाई
गाए कोयल मतवाली
सुन कोयल की तान
दामिनी तड़ तड़ तड़के
दामिनी की तड़क से
सावन भी जम कर बरसे
चली नदियां इठलाती
मोर पपीहा नाच उठे
करने वसुंधरा का श्रृंगार
इंद्रधनुष निकल के आया
देख धरा की धानी चूनर
झरनों ने सुमधुर राग सुनाया
यह सुंदर छवि देख
तरुवर झूम के गाएं
विरहणी को यह संदेश सुनाएं
पिया मिलन की ऋतु आई
सखी पड़ गए झूले
सावन ऋतु आई
***अनुराधा चौहान***

8 comments:

  1. वाह सखी बहुत सुंदर, सरस सावन की मन भावन रचना ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सखी 🙏

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  2. भावपूर्ण सुंदर रचना

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    1. धन्यवाद आदरणीय जीवन जी

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  3. बहुत ही लाजवाब रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद लोकेश जी

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    2. Wah kya kavita h man bhava tan savan wah .

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  4. धन्यवाद आदरणीय

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