Wednesday, August 22, 2018

प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो

इस युग के लोगों से
प्रभू कैसी तेरी दूरी है
क्यों फेर ली आंखें हमसे
ऐसी क्या मजबूरी है
कभी द्रोपदी की एक पुकार पर
प्रभू तुम दौड़े दौड़े आए थे
आज कई द्रोपदी सिसक रहीं
प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो
कभी सुदामा के आंसू पर
अपना सर्वस्य लुटाया था
आज कई सुदामा बेबस भूखे
प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो
नित चक्रव्यूह रचे जा रहे
और अभिमन्यु बेमौत मरते हैं
हे अंतर्यामी सब जानकर
अब भी आंखें मूंदे हो
दुशासनों से भरी दुनिया में
भीष्म पितामह मौन है
हे गिरधारी आंखें खोलो
तुम क्यों इतने मौन हो
बोला था जब पाप बढ़ेंगे
तुम धरती पर आओगे
मिटा पाप  को धरती से
नया युग लेकर आओगे
त्राहि-त्राहि करती अब नारी
धरती की फटती है छाती
रोता अंबर फाड़ कलेजा
प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो
इस युग के लोगों से
प्रभू कैसी तेरी दूरी है
क्यों फेर ली आंखें हमसे
ऐसी क्या मजबूरी है
***अनुराधा चौहान***

22 comments:

  1. Such a great line we are Online publisher India invite all author to publish book with us

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  2. वाह वाह अति सुन्दर और माकूल प्रश्न अनुराड जी
    👌👌👌👌👌👌👌
    जगत नियंता बने फिरे हो
    करुणा सागर कहलाते हो
    एक बूँद करुणा के खातिर
    कितना हमें रुलाते हो !
    ये ही प्रीत रही क्या कान्हा
    हम रोते तू मौन खड़ा
    सांची प्रीत होय तो कान्हा
    तू आना दौड़ा दौड़ा !

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    1. वाह इंदिरा जी आपने तो दिल खुश कर दिया सुंदर पंक्तियां 👌👌 बहुत बहुत आभार

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  3. बेहतरीन रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद दी

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  4. नित चक्रव्यूह रचे जा रहे
    और अभिमन्यु बेमौत मरते हैं

    bahut khoob.

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏

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  5. आज राक्षसी प्रवृत्ति की बेसुमार भीड़ है, प्रभु किस-किस को देखें, शायद यही सोच ऑंखें मूँद सोच में डूबे होंगे की क्या यही है मेरी
    अनमोल कृति जिसको इंसान कहा जाता है!
    बहुत अच्छी रचना

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  6. धन्यवाद नीतू जी

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  7. अनुराधा दी,व्यथित मन की करुण पुकार सुन प्रभु जरूर आएंगे। मन में हैं विश्वास...

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    1. जी सही कहा आपने आभार ज्योती जी

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  8. भावों में विहलता उभर कर आई हैं इतनी मार्मिकता है पंक्तियों मे जो मन को गहरे तक छू रही है,
    बहुत सुंदर रचना ।

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  9. भावपूर्ण
    बहुत ही लाजवाब सृजन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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  10. सुबह होते ही जब दुनिया आबाद होती है ।
    आंख खुलते ही लबों पर श्याम तेरी याद होती है ।।

    फूल बन कर बिछ जाऊ तेरे चरणों मे ।
    एक मात्र होंठों पे पहली ये फरियाद होती है ।।सुप्रभात💐

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  11. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -8 -2020 ) को "कृष्ण तुम पर क्या लिखूं!" (चर्चा अंक 3790) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा


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