Thursday, September 27, 2018

क्यों कभी ऐसा होता है


क्यों कभी कभी ऐसा होता है
सब कुछ होकर भी
कुछ नहीं होता है
होता है मन परेशान
और दिल बैचेन होता है
ज़मीं लगती है बंजर
आसमां सफेद होता है
जब मन में उदासी का
आलम गहरा होता है
दिल में मचती है हलचल
समंदर ठहरा ठहरा होता है
जलाती हैं तन को सर्द हवाएं
तेज धूप में घना कोहरा होता है
फूल बन जाते हैं कांटे
कांटों में चमन दिखता है
जब देते है अपने धोखा
तो दिल में बहुत दर्द होता है
क्यों कभी कभी ऐसा होता है
सब कुछ होकर भी
कुछ नहीं होता है
***अनुराधा चौहान***

16 comments:

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    1. धन्यवाद सखी अनिता जी

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  2. अनुराधा दी,क्योंकि हर क्यों का जबाब नही होता।

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    1. जी धन्यवाद ज्योती जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए

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  3. वाह!!! बहुत खूब

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    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 28/09/2018 की बुलेटिन, शहीद ऐ आज़म की १११ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. बहुत बहुत आभार शिवम् जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए

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  5. बहुत खूब

    फूल बन जाते हैं कांटे
    कांटों में चमन दिखता है
    जब देते है अपने धोखा
    तो दिल में बहुत दर्द होता है

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  6. लाजवाब..
    कभी कभी जीत कर भी हार जाते हैं.
    रंगसाज़

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    1. बहुत बहुत आभार रोहिताश जी

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  7. वाह बहुत सुंदर अनुराधा जी मन मोहख रचना ।

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  8. वाहः बहुत उम्दा
    बेहतरीन अशआर

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया दीपशिखा जी

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