Tuesday, November 13, 2018

हम हरपल हैं खोए

क्यों दिल के तार
झनझनाते हैं
क्यों अकेले में
 हम मुस्कुराते हैं
लगाकर तस्वीर तेरी
हम सीने से अपने
यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
यह तेरी मोहब्बत है
या नजर का छलावा
कैसे भूलूं तुझको
तुझे दिल में बसाया
आजा ओ हरजाई
करके बहाना
यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
तन्हाइयों के बादल
आकर घिरें हैं
अश्कों के मोती
चमकने लगें हैं
कर प्रेम की बारिश
आ गले से लगा ले
देख यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
जीने न देंगी
ज़माने की रुसवाई
मरने न देगा
तेरा प्यार हरजाई
चाहते हो तुम भी मुझको
मैं यह जानतीं हूँ
यादों में मेरी तुम भी
हरपल हो खोए
यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
***अनुराधा चौहान***

23 comments:

  1. प्रेम में डूबे पल ऐसे ही होते हैं ...
    पर इनपर किसी का बस भी नहीं होता ... और अच्छे दिन भी यही तो होते हैं ...

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    1. जी बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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  2. बहुत ही खूबसूरत.. रचना जी
    👌👌👌

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  3. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 15 नवम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1217 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए

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  4. प्रेम में डूबे व्यक्ति की मनोदशा व्यक्त करती सुंदर रचना

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  6. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/11/2018 की बुलेटिन, " काहे का बाल दिवस ?? “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. प्रेम पगे पल और अनुरागी मन !! यही स्थिति होती होगी एक प्रेम में निमग्न मन की | सुंदर,सरस रचना प्रिय अनुराधा बहन | सस्नेह बधाई --

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    1. बहुत बहुत आभार रेनू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  8. वाह बहुत खूब,

    दिल को छू गयी ये लाइन्स

    जीने न देंगी
    ज़माने की रुसवाई
    मरने न देगा
    तेरा प्यार हरजाई

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  9. अब हरजाई कहके कोई बिरहिन पुकारेगी तो उसका पिया क्यों वापस आएगा? प्रेम-निवेदन में थोड़ी चाशनी घोली जाए और विरह-व्यथा को अत्यधिक वेदना के साथ प्रस्तुत किया जाए तो विरह को मिलन में बदला जा सकता है. हमारी शुभकामनाएँ!

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  10. बहुत सुंदर रचना अनुराधा जी....👌👌

    मेरी दो पंक्तियाँ समर्पित है आपकी रचना पर

    जाने न मनमोहना समझे न हिय के पीर।
    विनती करके हार गयी कैसे धरुँ मैं धीर।।

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    1. वाह बहुत सुंदर पंक्तियां श्वेता जी
      बहुत बहुत आभार आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  11. प्रेम पगी यादों भरी बहुत ही लाजवाब रचना....
    वाह!!!

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  12. आकंठ अनुरागरत मन की सुंदर समर्पण भाव से भरी रचना प्रिय अनुराधा जी | हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |

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    1. बहुत बहुत आभार रेनू जी

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