Wednesday, November 14, 2018

हम फिर से बच्चे बन जाते हैं

भूल कर सारे ग़म 
आज फिर खिलखिलाते हुए
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं
भूल के झगड़े पुराने
आओ मिलकर गाएं गाने
दोस्ती का जश्न मनाते हैं
पहन कर रंग बिरंगी टोपियां
खुशियों को फिर बुलाते हैं
उम्र हमारी अब ढल चुकी तो क्या
दिल तो अभी भी बच्चा है
बच्चों को नहीं फिकर हमारी
दोस्तों का प्यार सच्चा है
आज उम्र को परे रखकर
गीत पुराने गुनगुनाते हैं
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं
जन्मदिन आज साथी का 
मिलकर धूम मचाते हैं
अब साथी हम सुख-दुख के सभी
जिंदगी साथ बिताते हैं
छोड़ दिया साथ हमारे अपनों ने
साथ न छोड़ा हमारे सपनों ने
जिंदगी जब हमें यहां ले आई
तो फिर क्यों झेलें हम तन्हाई
हम तनहाईयों को ठेंगा दिखाते हैं
आज फिर खिलखिलाते हुए
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं
***अनुराधा चौहान***

10 comments:

  1. वाह वाह क्या खूब सकरात्मक ता का बहता झरना ......👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

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  2. बहुत बहुत आभार इंदिरा जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  3. वाह सखी अनुपम सच जिंदगी में जिंदा दिली होनी चाहिए उम्र गई पानी लेने ।
    वाह वाह।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  4. सच में बचपन से अच्छा कुछ नहीं ,मनुष्य के भीतर का बचपना हमेशा जिंदा रहना चाहिए,इसी में जिंदा दिली है ,अच्छी रचना

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  5. वाह !
    बहुत खूब
    हम फिरसे बच्चे बन जाते है..

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    1. धन्यवाद रविन्द्र जी

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  6. छोड़ दिया साथ हमारे अपनों ने
    साथ न छोड़ा हमारे सपनों ने
    जिंदगी जब हमें यहां ले आई
    तो फिर क्यों झेलें हम तन्हाई
    हम तनहाईयों को ठेंगा दिखाते हैं
    आज फिर खिलखिलाते हुए
    हम फिर से बच्चे बन जाते हैं!!!!
    बड़ा ही सकारात्मक जज्बा है इन बड़े बच्चों का | यदि सब यही सोच अपना लें तो जीवन की वेदना कितनी कम हो जाए | बड़े बच्चों की भोली सी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें प्रिय अनुराधा जी |

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    1. बहुत बहुत आभार रेनू जी

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