Saturday, February 23, 2019

करार आने दे

सांझ ढलने लगी
चाँद मुस्कुराने लगा
चाँदनी भी हंँस कर
आँगन में गई उतर
ऐ रात जरा ठहर के चल
अभी तो बाकी है प्रहर
थोड़ी देर रुक सही
जरा दिल को करार आने दे
तारों को जगमगाने दे
जाग उठे सुखद अहसास
चली फागुनी बयार
तन-मन में मची सिहरन
ऐ बहार थोड़ा रुक जरा
अभी बसंत गया नहीं
प्रिय को पास आने दे
जरा दिल को करार आने दे
बिखरने लगे ओस के मोती 
यहाँ फूलों पर निखर-निखर
ऐ अंधेरे मुझे यूँ न सता
थोड़ी देर तो जरा ठहर
चिराग  प्रेम के जलने दे
जरा दिल को करार आने दे
***अनुराधा चौहान***

6 comments:

  1. कोमल मन भावन, श्रृंगार रस और भीनी सी फाल्गुनी रंग लिये सुंदर रचना ।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर मन भावन रचना सखी
    सादर

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया रचना,अनुराधा दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सहृदय आभार ज्योती बहन

      Delete