Wednesday, March 13, 2019

वजह क्या थी

एक 
कली
जो अभी
खिली भी न थी
मसल दी हैवानों ने 
वजह क्या थी छोटे वस्त्र पहने थे 
नहीं
इंसानियत
मर चुकी थी
वहशी दरिंदों की 
वासना में लिप्त थे
तभी तो नहीं दिखी थी
उन्हे नन्ही कली नाजों से पली
जब
होता 
स्त्री का 
चीरहरण
तार-तार होती 
इज्जत लोगों की दृष्टि में
वही इसकी जिम्मेदार होती
बातें 
बनती 
फिर उसके 
पहनावे पर
उसकी आजादी पर
आरोप छोटे वस्त्रों का
उन मासूम नन्ही परियों
का दोष भी क्या उनके कपड़े 
यही सोच उन्हें जीने नहीं देती 
वो
उनके 
तानों से 
आहत होती
उल्हानों से पीड़ित 
आत्मा चीखने लगती
जब कपड़ों पर प्रश्नचिंह लगते
कान
बंद कर
उनकी चीखें
अनसुनी करते
द्रोपदी के दर्द को
सब अनदेखा करते
भीष्म को तरह है मौन
सच्चाई जानते दुर्योधनों की
आँख बंद कर धृतराष्ट्र बने रहते है
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित ✍
चित्र गूगल से साभार

12 comments:

  1. हृदयस्पर्शी सृजन ...., अपने आप में अनेकों प्रश्न लिए...., चिन्तनपरक भावाभिव्यक्ति अनुराधा जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी

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  2. धब्बा हैं ऐसे लोग समाज पर ...
    मर्म्स्पर्शीय रचना है ...

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  3. आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 16 मार्च 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बहुत ही मार्मिक ....
    जब
    होता
    स्त्री का
    चीरहरण
    तार-तार होती
    इज्जत लोगों की दृष्टि में
    वही इसकी जिम्मेदार होती

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  5. मर्म्स्पर्शीय रचना है

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