टूटकर बिखरती मेहंदी,
फिर भी नहीं मिटती है।
छोड़ती मन छाप अपनी,
नाम पिया जब रचती है।
संस्कृति में रची-बसी,
सुहागिन हाथ में महके मेहंदी।
मेहंदी बिन त्यौहार अधूरे,
सावन की हर रीत में मेहंदी।
बहनों के प्रेम में रचती,
भाई की उम्र की दुआ मेहंदी।
पिया नाम रची जब हाथों ,
दुल्हन का सुहाग है मेहंदी।
नारी का स्नेह है मेहंदी,
प्रीत भरी इक आस है मेहंदी।
मेहंदी बिन श्रृंगार अधूरा,
खुशियाँ देती महके मेहंदी।
उत्सव की शान बढ़ाकर,
मेहंदी देती है संदेश यह गहरे।
अपने रंग में रंग लो सबको ,
हटा दो नयनों से घृणा के पहरे।
*अनुराधा चौहान'सुधी'
चित्र गूगल से साभार
वाह सखी मेंहदी के सभी रंगों का सुंदर वर्णन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
सस्नेह आभार प्रिय सखी
Deleteवाह ! बहना बहुत ही सुन्दर सजा ब्लॉग मेहंदी से
ReplyDeleteमन में उतर गयी
सादर स्नेह
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत खूब।
ReplyDeleteहरे-भरे सावन महीने की है मेहंदी
हार्दिक आभार प्रकाश जी
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 30 जुलाई 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी अवश्य हार्दिक आभार यशोदा जी
Deleteकोमल अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक आभार शशि जी
Deleteमेहंदी के सभी रंगों का बहुत सुंदर वर्णन, अनुराधा दी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार प्रिय ज्योति जी
Deleteबेहद बेहतरीन गुणगान मेंहदी का ... कमाल है ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
५ अगस्त २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteहार्दिक आभार सखी
ReplyDeleteबहनों का प्रेम है मेहंदी,
ReplyDeleteभाईयों की उम्र की दुआ है मेहंदी।
पिया नाम रचे जब हाथों में,
दुल्हन का सुहाग है मेहंदी
बहुत ही प्यारी रचना सखी ,सादर
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
धन्यवाद आदरणीय
Deleteहार्दिक आभार सखी
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