Tuesday, December 17, 2019

अनु की कुण्डलियाँ-1

(1)
वेणी
महकी वेणी मोगरा,जूड़े सजती आज।
शरमाती गोरी चली,पायल देती साज।
पायल देती साज,पहन के कँगना हाथों।
भाँवर पड़ती आज,रही ले फेरे सातों।
कहती अनु सुन आज,खुशी से दुल्हन चहकी  ।
लाली मुख पे  लाल,लटों में वेणी महकी।
(2) 
कुमकुम
गोरी बैठी पालकी,चली पिया के देस।
आँखों में कजरा लगा,पहने चूनर वेस।
पहने चूनर वेस,माँग का चमका टीका,
गजरा महका बाल,लगाए कुमकुम टीका।
छोटी थी कल देख,लली थी सुनती लोरी
चलदी वो ससुराल,विदा होकर के गोरी।
(3)
काजल
चूड़ी से बिँदिया कहे,तू क्यों देती साज।
तेरी खन खन में बसे, नारी मन का राज।
नारी मन का राज।लगाती काजल बिँदिया। 
सजती जब ये नार,चुराती हैं यह निँदिया।
कहती अनु सुन आज,बनाओ हलवा पूड़ी।
साजन आए द्वार, खनक-खनकें है चूड़ी।
(4)
गजरा
महके बालों में लगे,गजरा जूही आज।
झुमके कानों में सजे,कँगना चूड़ी साज।
कँगना चूड़ी साज,पहनती चूनर सारी।
कर सोलह श्रृंगार,लग रही सुंदर नारी।
कहती अनु यह देख,खुशी से सखियाँ चहके।
लटका लट में आज,जुही का गजरा महके।
(5)
पायल
छनकी पायल पाँव में,देखे छुपके मीत।
शरमाती दुलहन चली,सजना गाए गीत।
सजना गाए गीत,देख दुलहन भरमाती।
होंठों पे मुसकान, झुका नयना शरमाती।
कहती अनु यह देख,सखी की चूड़ी खनकी।
चलदी साजन साथ,छनक छन पायल छनकी।
(6)
कंगन
 झुमका कंगन साथ में ,छेड़े ऐसा राग।
आँगन में गोरी नचे,खेले साजन फाग।
खेले साजन फाग,चली देखो बलखाती।
रंगों की बरसात,सजन से नेह दिखाती।
कहती अनु यह देख,लगा खुशियों का ठुमका।
नाचे गोरी आज,पहन के कंगन झुमका।

***अनुराधा चौहान***

23 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर लाज़वाब शानदार कुंडलियाँ अनुराधा जी। साहित्य की लुप्तप्राय विधा में सृजन पढ़ना सुखदायी है। बधाई बहुत अच्छा लिखी हैं।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  2. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 19 दिसंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    1616...मत जलाओ सरकारी या निजी सम्पत्तियाँ

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. वाह!!सखी ,बेहतरीन कुंडलियां 👌👌👌

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  4. सुंदर सृजन सखी

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  5. वाह अनुराधा जी , कुंडलियाँ विधा आज विलुप्त होती जा रही है \ श्रृंगार रस से सराबोर इन रचनाओं का क्या कहना | बहुत अच्छा लिखा आपने | सस्नेह

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  6. कमल की कुण्डलियाँ ...
    मज़ा आया पढ़ के ...

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    1. हार्दिक आभार संजय जी

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  8. बहुत सुन्दर श्रृंगार-परक कुण्डलियाँ, अनुराधा जी !
    छठी कुण्डली का अंतिम शब्द, इसके पहले शब्द की भांति - 'कंगन' ही होना चाहिए था.

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय यह गलत कुण्डली पोस्ट हो गई थी। सुधार कर दिया है 🙏

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    2. वाह ! अब तो इस कुंडली में चार चाँद लग गए.
      ऐसा झुमका कि बरबस ही ठुमका लगाने का मन करने लगे.

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    3. हार्दिक आभार आदरणीय

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  9. बहुत बहुत सुंदर सखी ।
    शानदार प्रस्तुति।
    कुण्डलियाँ छंद की ।
    वाह!

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  10. बहुत सुंदर कुंडलियाँ अनु जी 🌹🌹🌹

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    1. हार्दिक आभार सुधा जी

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  11. वाहः वाहः उम्दा

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