Friday, July 16, 2021

हाइकु-३

 

1

भादों मध्यान्ह~

इंद्रधनुष देखता

प्रेमी युगल।

2

बारात द्वार~

पंडाल में तैरते

जूते-चप्पल।

3

हल्दी की रस्म~

पीली चिट्ठी टुकड़े

वर के हाथ।

4

शरद साँझ~

माँ अलाव में डाले

नीम पत्तियाँ।

5

डोली में वधू~

खोमचे से उठती

टिक्की सुगंध।

6

जेठ मध्यान्ह~

कूटती लाल मिर्च 

ओखली में माँ।

7

जाह्नवी तट~

पेड़ पर उकेरा

प्रेमी का नाम।

8

संगम घाट~

उकेरा रेत पर

प्रेमी का नाम।

9

शीतलहर~

मूँगफली की उठी

चौका से गंध।

10

पौष मध्यान्ह~

दादी के पोटली से

सपड़ी गंध।

11

जेठ मध्यान्ह~

गुल्ली डंडा से फटा

वृद्ध का सिर।

12

मेथी के दाने~

चौका से आती गंध

गुड़ सौंठ की।

13

कुहासा भोर~

मधुशाला में मारी

पत्नी बेलन

14

मावस रात्रि~

जर्जर हवेली में

गादुर स्वर।

15

जेठ मध्यान्ह~

महिला की पीठ पे

गन्ने का ढेर।

16

तारों की आभा~

तंबू भीतर गूँजी 

घुँघरू ध्वनि।

17

कुहासा भोर~

बाला तिरंगा बीनी 

स्कूल द्वार से

18

पौष मध्यान्ह~

रसोई में बनायी 

माँ तिल पट्टी।

19

कुहासा भोर~

छिंदरस की आई

चौका से गंध।

20

पहाड़ी पथ~

ग्वार पाठा के पत्ते

वैद्य झोली में

21

गेहूँ के दाने~

कबूतर का चूजा

दबोचे श्वान।

22

भोर लालिमा~

राख से अस्थि बीनी

युवा बिटिया।

23

 जेठ मध्यान्ह~

टीन छत पे गूँजी

बूँदों की टप।

24

जेठ मध्यान्ह~

विद्युत द्युति संग

मेघ फुहार।

25

अषाढ़ भोर-

मोर नृत्य देखते

बाल समूह

26

नदी का तट-

सूर्यास्त देख रहा

प्रेमी युगल।

27

चैत्र मध्यान्ह~

पलाश फुगनी पे

भ्रमर गूँज।

28

जेठ मध्यान्ह~

शुष्क धरा पे गिरी

वर्षा की बूँद।

29

बसंत भोर~

टूटे अण्डे से गूँजे

चिरप स्वर।

30

गाँव में बाढ़~

प्रसूता की गोद में

किलकी स्वर।

31

जेठ मध्यान्ह~

कृशकाय बैल पे

छड़ी प्रहार।

32

झील का तट~

अजगर मुख में

बत्तख चूजा।

33

जेठ मध्यान्ह~

गन्ना रस के साथ

लहू मिश्रण।

34

भोर लालिमा ~

रेल द्वार पे झूला

नवयुवक ।

©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍

चित्र गूगल से साभार

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