जो सुने गीत हम चले आये।
बाँधकर प्रीत साथ में लाए॥
दो घड़ी पास में जरा बैठो।
बीतती रात रागिनी गाये॥
मौन हो आज पायलें बैठी।
चूड़ियाँ भी न भेद बतलाये॥
चाँद भी रूप ले सजीला सा।
झील को देख आज इतराये॥
छेड़ते राग पात पीपल भी।
मोहिनी गंध ले खुशी छाये॥
ज्यों खिली भोर तो कली फूली।
देखकर रूप भृंग इठलाये॥
तू सुधी बीन ओस के मोती
धूप के ताप में न उड़ जाये॥
*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार