Friday, February 10, 2023

जीवन का सच

फागुन जब लेता अँगड़ाई,पुरवाई तब महके।
पीली पीली सरसों फूली,देख उसे मन चहके॥खिलती कलियाँ झरते पत्ते,पतझड़ भी मनभाए।रंगों का अब मौसम आया,पुरवा गीत सुनाए॥

फाग महीना धूम मचाए,रंग खुशी के बरसे।
पिया मिलन की आस लगाए,प्रीत न कोरी तरसे॥
नवपल्लव डालों पर झूमे, लेकर मीठीं किस्से।
कल तक जो लहराते पत्ते,अब माटी के हिस्से॥

मधुमास बना चढ़ता यौवन, प्रेम के गीत सुनाता।
जीवन फिर ढलती काया ले,पत्ते सा झड़ जाता॥
यह जीवन की रीत पुरानी,मानो या मत मानो।
प्रेम बिना यह जीवन सूना,सच जीवन का जानो॥

अनुराधा चौहान 'सुधी'स्वरचित

16 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (12-2-23} को जीवन का सच(चर्चा-अंक 4641) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  3. खूबसूरत पंक्तियाँ।

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    1. हार्दिक आभार नितिश जी

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  4. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  5. खिलती कलियाँ झरते पत्ते,पतझड़ भी मन भाए।
    रंगों का अब मौसम आया,पुरवा गीत सुनाए॥
    अत्यंत सुन्दर सृजन ।

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  6. सुन्दर रीतिकाल का आभास कराती रचना।

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  7. फागुन मास की खूबसूरती का बखान करता हुआ बहुत ही खूबसूरत सृजन

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