Tuesday, July 4, 2023

गुरु ज्ञान का उजाला


 गुरु ज्ञान का उजाला बनकर करीब आए।
अज्ञानता भरी मन विज्ञान वो सिखाए।
भटके हुए इस मन में ठहराव कही नहीं था।
सीखे सबक हजारों अंधकार भी मिटाए।

छाए घटा घनेरी चपला हृदय डराए।
सागर सी मन व्यथाएं लहरों सी फनफनाए।
मन कुछ समझ न पाता जब अंधकार छाता।
तब धूप की चमक बन गुरुदेव रास्ता दिखाए।

जीवन की पाठशाला गुरु के बिना नही है।
जीवन की शिक्षा माँ से गुरु पहली बस वही है।
गुरुदेव देव तुल्य हैं यह बात माँ सिखाती।
देते पिता सबक यह गुरु ज्ञान जग सही है।

करते नमन हमेशा हम शीश को झुकाएं।
गुरु के बिना न मानव प्रभु को कभी न पाएं।
दभं तोड़ते हमेशा कटुता हृदय मिटाकर।
बस प्रीत हो हृदय में यह सीख ही सिखाएं।

अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित 


Friday, February 10, 2023

जीवन का सच

फागुन जब लेता अँगड़ाई,पुरवाई तब महके।
पीली पीली सरसों फूली,देख उसे मन चहके॥खिलती कलियाँ झरते पत्ते,पतझड़ भी मनभाए।रंगों का अब मौसम आया,पुरवा गीत सुनाए॥

फाग महीना धूम मचाए,रंग खुशी के बरसे।
पिया मिलन की आस लगाए,प्रीत न कोरी तरसे॥
नवपल्लव डालों पर झूमे, लेकर मीठीं किस्से।
कल तक जो लहराते पत्ते,अब माटी के हिस्से॥

मधुमास बना चढ़ता यौवन, प्रेम के गीत सुनाता।
जीवन फिर ढलती काया ले,पत्ते सा झड़ जाता॥
यह जीवन की रीत पुरानी,मानो या मत मानो।
प्रेम बिना यह जीवन सूना,सच जीवन का जानो॥

अनुराधा चौहान 'सुधी'स्वरचित