यह कल की ही तो बात थी
जब मेरे हाथों में
मेहंदी लगी थी
कर सोलह श्रृंगार
मैं दुल्हन बनी थी
बारात लेकर आए थे
तुम मेरे अंगना
खिड़की से मेरा छुप कर
तुमको देखना
यह कल की ही तो बात थी
खुशियां हीं खुशियां थीं
सब जम कर नाच रहे थे
चुपके से हम तुमको
तुम हमको देख रहे थे
यह कल की ही तो बात थी
मांग में सिंदूर भर कर
किया था तुमने वादा
तुम मेरी अर्धांगिनी हो
प्रिये पूरा करूंगा हर वादा
यह कल की ही तो बात थी
विदा होकर में ससुराल आई
तुमको पाकर खुशी से फूली न समाई
हंसी खुशी बीते थे दिन चार
तुम्हारे जाने की घड़ी आ गई
यह कल की ही तो बात थी
आंखों में आंसू छुपाकर
तुमसे लिया था वादा
तुम जल्दी वापस आओगे
तुमने भी किया था वादा
यह कल की ही तो बात थी
तुम्हारे सपनों में खोई हुई थी
कि किसी ने मुझे आवाज दी
तुम्हारे शहीद होने की
मुझको खबर मिली
एक पल में सब कुछ बिखर गया
अभी तो दुनियाँ बसाई थी
अभी तो दुनियाँ बसाई थी
यह कल की ही तो बात थी
अभी तो हाथों की मेहंदी भी न छूटी थी
अभी तो तुमने मेरी मांग भरी थी
सब एक झटके में उजड़ गया
मंगलसूत्र के मोती बिखर गए
जो देखे थे साथ सपने
सपने बन कर ही रह गए
मंगलसूत्र के मोती बिखर गए
जो देखे थे साथ सपने
सपने बन कर ही रह गए
पर शहीद की विधवा हूं मैं
यह गौरव मन में भर गया
***अनुराधा चौहान***
नमन है बारम्बार देश के शहीदों को
Heart touching veve nice
ReplyDeleteधन्यवाद दी
Deleteप्रिय अनुराधा जी --- आपकी रचना पढकर मुझे वीर रस के कवि आदरणीय हरिओम पवार जी दो पंक्तियाँ याद आई
ReplyDeleteउन दो आँखों में सातों सागर हारे होंगे जब मेंहदी रचे हाथों ने मंगल सूत्र उतारे होंगे !!!
उस पीड़ा की क्या कहिये -- कौन लेखनी सक्षम है पर शहीद की विधवा का ये अंतर विलाप निशब्द कर रहा है | सचमुच नमन है देश के जांबाज वीरों को - जो नव विवाहिता पत्नी के प्रेम को दरकिनार कर अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन करते हैं | आपका स्वागत और आभार |
धन्यवाद रेनू जी
Deleteप्रिय अनुराधा जी ... सच में लेखनी में इतना दम कहाँ कि वो एक शहीद की विधवा के एहसासों को पन्नों पर उतार पाए, मैं पूर्णतया रेनू जी से सहमत हूँ पर आपकी लेखनी में वह धार है जिसने इस एहसास को पन्नों पर उतार कर हमारे शहीद जवानों को श्रद्धांजलि और उनकी विधवाओं के मर्म को उकेर कर रख दिया । बहुत-बहुत साधुवाद आपने क्या देख कर मुझे Google पर फॉलो किया नहीं जानती पर आपकी वजह से एक अच्छे समुदाय से रूबरू होने का मौका मिल रहा है उसके लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteMy blog https://Neelima Kumar.blogspot.com
आप सभी को मेरी रचना पसंद आई यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है सादर आभार नीलिमा जी
ReplyDeleteसैनिकों की नवविवाहिताओं का दर्द बखूबी वर्णित किया आपने ।
ReplyDeleteबहुत शानदार लेखन ।
धन्यवाद कुसुम जी
Deleteसादर आभार आदरणीय
ReplyDeleteकितने प्यारे शब्दों में दर्द की कहानी रच दी आपने
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद नीलम जी
Deleteजी अवश्य पम्मी जी बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिए 🙏
ReplyDeleteबेहद.हृदयस्पर्शी रचना अनुराधा जी।
ReplyDeleteशहीद की विधवा भी तो एक.स्त्री ही होती है न उसका दर्द एक आम स्त्री से कम तो नहीं होगा। शब्दांकन बेहद मार्मिक है।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी
Deleteये हौसला जीने का कि वो एक शहीद की पत्नी है
ReplyDeleteये सोच कि वो कतई कमजोर नहीं है
और जिंदगी के मैदान में जीने की एक कड़ी जिद।
ये शहीद की अर्धांगिनी में ही देखा गया है।
कविता में मार्मिक तत्व गौण और वीरतत्व प्रधान है।
सुंदर लेखन।
मेरे ब्लॉग पर स्वागत रहेगा
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteदिल को छूती रचना!!!
ReplyDeleteह्रदयस्पर्शी रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
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