Wednesday, June 6, 2018

आखिर कब तक

 
(चित्र गूगल से साभार )

      अब न  डरेंगे अब न रुकेंगे
        इन जुल्म ओर अत्याचारों से
         कब तक घर में छुपे रहेंगे
         इन कलयुगी शैतानों से...
                सब चुप सहती रही हमेशा
                 उसका यह परिणाम मिला
                मसला रोंदा फिर फेंक दिया
                 इन कलयुगी शैतानों ने
        नारी ने इन्हें जन्म दिया
        नारी से ही संसार बसा
        नारी को ही वस्तु समझा
        इन कलयुगी शैतानों ने
                  इन्होने अपनी हवस की खातिर
                  रिश्तों को भी कलुषित किया
                  सारी मर्यादा ताक पर रख दीं
                  इन कलयुगी शैतानों ने
        नारी के जीवन का प्रभु
       यह कैसा अभिशाप लिखा
       अब नन्ही परियां भी नहीं बचती
       इन कलयुगी शैतानों से
                     नारी कमजोर नहीं है शक्ति है
                      अब दुनिया को दिखाना है
                   कब तक सहमी सहमी रहोगी
                      इन कलयुगी शैतानों से
                            ***अनुराधा***

19 comments:

  1. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  2. सही कहा है ...
    कल्यूगी शैतानों को सबक़ सिखाने के लिए नारी को आगे आना होगा ...

    ReplyDelete
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 01 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को साझा करने के लिए

      Delete
  4. अपनी अस्मिता और अस्तित्व के लिये खुदमही लड़ना होगा सटीक सीख और आह्वान करती रचना।

    ReplyDelete
  5. आज जब पग-पग पर नारी अस्मिता खतरे में है नारी की आत्मिक शक्ति को जगाना अति आवश्यक है।
    बहुय अच्छी रचना..👌

    ReplyDelete
  6. आह्वान करती रचना ..
    सार्थक और सटीक

    ReplyDelete
  7. अपने समय के झंझावातों से जूझतीए भावों को उकेरती और संकल्‍पों को साधती बहुत ही खूबसूरत रचना अनुराधा जी, बहुत ही सुंदर...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार अलकनंदा जी

      Delete
  8. Anuradha chauhan ji aaj nari per kitni kavita likhi ja rhi hai ek din sudhar jarur hoga us din khuli hva me savi maa bahan sans legi kitna sunder aapna bharat desh hoga . aap bahut bahut aabhar

    ReplyDelete
    Replies
    1. तब सही मायने में उन्नत भारत होगा जहां नारी दु:खी वहां खुशी नहीं आभार आदरणीय

      Delete
  9. "...अब नन्ही परियां भी नहीं बचती
    इन कलयुगी शैतानों से"

    नारी की वर्तमान व्यथा को बहुत सटीक तरिके बताया आपने।
    समाज के लिए एक सार्थक रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

      Delete