यह भारत की भाग्य विधाता
वीर क्षत्राणी रानियां थीं
गुणी साहसी धर्मनिष्ठ योद्धा
रण में काली कल्याणी बन
दुश्मन के छक्के छुड़ाती थी
था ममता से परिपूर्ण हृदय
सीने में स्वाभिमान की ज्वाला थी
पति विमुख न हो कर्त्तव्य से
शीश काट उसे भेंट किया
वीर क्षत्राणी रानी हांडी ने
गौरवशाली इतिहास रचा
सीता सी थी कोमलता इनमें
आंखों में पदमिनी सी ज्वाला
स्वाभिमान की रक्षा करने
मिलकर जौहर कर डाला
धधक-धधक कर जलता था तन
मुख पर चीख नहीं जयकारे थे
इनकी वीरता के आगे
दुश्मन के हौंसले हारे थे
आंखों से शोले बरसाती
तलवार चलाती बिजली सी
झांसी की वह रानी थी
खूब लड़ी मर्दानी बन
दुश्मन को ललकारती थी
दोनो हाथ तलवार चला उसने
दुश्मनों के सिर को काटा था
इतिहास गवाह है इनकी
गौरवशाली गाथा का
***अनुराधा चौहान***
Ye hui na Baat. बेहद खूबसूरत कविता. जय राजपूताना
ReplyDeleteधन्यवाद लकी सिंह
Deleteवीर रस से आप्लावित सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अभिलाषा जी
Deleteवाह!गौरवपूर्ण इतिहास हमारा..
ReplyDeleteसुंदर रचना।
धन्यवाद पम्मी जी
Deleteवाह अनुराधा जी वीरांगनाओं पर फड़कती रचना दिल मे ओज और गौरव भरती बहुत सुंदर वीर रस की रचना ।
ReplyDeleteसादर आभार कुसुम जी
Deleteबहुत ही ओजमयी रचना प्रिय अनुराधा जी | क्षत्रियों का इतिहास शौर्य की अनुपम गाथाओं से भरा पड़ा है | क्षत्रिय वीर हैं तो उनकी सह्गामिनियों ने भी समय समय पर अपना कर्तव्य तन और मन से निभाया है और अपने रक्त से तिलक माथे पर सजा अपने पति पुत्रों को तलवार से सुसज्जित कर रनभूमि की ओर निर्भय हो प्रस्थान की अद्भुत प्रेरणा दी है |रानी पद्मिनी ने जहाँ अपने आत्मसम्मान और अस्मिता की रक्षा के लिए सगर्व जौहर कर लिया था वही हाडा रानी ने स्वयम के मोह से मुक्त कर अपने सर्वोच्च बलिदान के बाद पति को युद्ध भूमि में जाने की प्रेरणा दी | इतनी सुयोग्य नारी शक्ति को बारम्बार प्रणाम | हमे गर्व है इन शक्तिरूपा क्षत्राणियों पर | वीररस रस युक्त सुंदर सृजन !!!!!!!
ReplyDeleteस्वागतम् अनुराधा जी ।पर शायद गलती से आप मेरा नाम भूल गई।
Deleteat 5:51 PM
Deleteसादर आभार रेणु जी आपने मेरी रचना को पसंद कर मुझे उत्साहित किया है धन्यवाद 🙏 माफी चाहूंगी पोस्ट करते समय ध्यान नहीं दिया 🙏🙏🙏
अप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम ...अनुराधा जी सर्व प्रथम मेरा सादर धन्यवाद कबूल कीजिये ....मेरा मन भावन वीर बहुटी वीरांगनाओं का रंग आपके काव्य सागर मैं उछाल मार रहा है ! वो अतुलनीय और लाजवाब है ! मेरे हृदय की गहराई तक छू गया ! मन गतिमान हो उठा !
ReplyDeleteइन्हीं वीरांगनाओं के संदर्भ मैं में वीर बहुटी भारत की वीरांगनाओं के बारे मैं हर शनिवार को उनका इतिहास और गौरव गाथा लिखने का प्रयास करती हूँ ...
आप भी पढियेगा ! नमन
धन्यवाद इंदिरा जी आपको रचना पसंद आई
Deleteआप इसी तरह मुझे उत्साहित करते रहे आभार
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आप ने
ReplyDeleteवीरांगनाओं को शत शत नमन
धन्यवाद नीतू जी
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