(चित्र गूगल से साभार) |
यह भारत का मोर मुकुट
कश्मीर हमारी जान है
धरती का कहते स्वर्ग इसे
यह इसकी पहचान है
इस स्वर्ग सी सुंदर घाटी पर
दुश्मनों की नजर टिकी
गोली बम धमाकों से
गूंजे इसकी गली गली
हिम शिखरों का सोंदर्य
द्रवित हो पिघल उठा
गर्व भरा मस्तक चिनारों का
दु:खी हो झुका पड़ा
केसर की सुंदर क्यारी
जो सदा महकती रहती थी
आज आतंकी खौफ के चलते
कुछ उजड़ी उजड़ी रहती है
सुंदर शिकारों से सजी
डलझील की सुंदर शान थी
उन शिकारों की रौनक
कुछ सूनी-सूनी दिखती है
इस सुरम्य वादियों को
जानें किसकी नजर लगी
बच्चा बच्चा यहां पर घूमें
पत्थर लेकर गली गली
कश्मीर के नोनिहालों सुनो
क्या तुमको इंसान का दर्द नहीं लगता
या तुम्हारा रक्त लाल नहीं
स्वेत हुआ करता
गोली बम धमाकों से
जब घाटी का कलेजा फटता है
रोज किसी न किसी के घर का
चिराग यहां पर बुझता है
आतंकी जहर के चलते
तुमने यह कैसा काम किया
कुछ कौम विशेष को ही
उनके घर से बाहर किया
भारत का यह मोर मुकुट
कश्मीर हमारी जान है
हिल मिल कर रहे सब सदा
यही वतन की शान है
***अनुराधा चौहान***
वाहहह बेहतरीन रचना कश्मीर की समस्या काचित्रण
ReplyDeleteधन्यवाद दी
ReplyDeleteबहुत सुंदर,संवेदना मे डूबी रचना।
ReplyDeleteइस धरा के स्वर्ग को दानवों की नजर लग गई।
सहज सरल प्रवाह लिये मनोभाव।
सादर आभार कुसुम जी
Deleteबहुत उम्दा ....रचना हेतु बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी
Deleteप्रिय अनुराधा जी -- कश्मीर के बारे में सत्य है कि खता लम्हों ने कोई सजा सदियों ने पाई है ।कश्मीर की दुर्दशा का जिम्मा उन एतहासिक गलत फैसलों को जाता है जिन्होंने अपने निर्णयों में जरा भी दूरदर्शिता nahii दिखाई ।बहुत अच्छा लिखा आपने।ना जाने कितनी माओं के साल इसकी घाटियों के सौन्दर्य और शांति को बहाल करने के लिए अपनी अनमोल जानें न्योछावर कर चुके है ।मेरी शुभकामनाएं स्वीकार हो ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद रेणू जी
DeleteNice post
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति अनुराधा जी!
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी
Deleteबहुत हृदयस्पर्शी सृजन अनुराधा जी ।
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