महत्व समझो जल का
जो जीवन का आधार है
घट रहा दिन प्रतिदिन
यह हमारी
गलती का परिणाम है
प्रकृति का निरंतर दोहन
कर रहा भूमि बंजर
दूषित हो रहा
नदियों का जल
स्वच्छ जल होता ज़हर
गिरता निरंतर जलस्तर
क्या पिएगा आने वाला कल
टूटे नल बहता पानी
होती पानी की बरबादी
व्यर्थ न इसे बहने दो
हर बूँद की कीमत समझो
जल ही जीवन है
यह जीवन अमृत है
जल बिन जीना मुश्किल है
जल संग्रहण का प्रयास हो
वर्षाजल बर्बाद ना हो
अब पहल हमें ही करना है
हो हमें जितनी जरूरत
पानी हो उतना ही संचित
व्यर्थ जमा कर पानी
नाली में ना बहने दो
बूँद-बूँद की कीमत को
वो ही अच्छे से समझते हैं
जो इसके लिए तरसते हैं
एक एक घड़े पानी के लिए
वो मीलों तक पैदल चलते हैं
हम फिजूल पानी बहाकर
सिर्फ गाड़ी को चमकाते है
घर बैठे पानी मिलता है
पानी का मोल तो समझेँ
जल अनमोल धरोहर जीवन की
प्रकृति के खिलते यौवन की
कुछ तो फिकर करो सब
अपने आने वाले कल की
अगर यह सिलसिला नहीं रूका
तो धरती से फिर जीवन रूठा
***अनुराधा चौहान***
जो जीवन का आधार है
घट रहा दिन प्रतिदिन
यह हमारी
गलती का परिणाम है
प्रकृति का निरंतर दोहन
कर रहा भूमि बंजर
दूषित हो रहा
नदियों का जल
स्वच्छ जल होता ज़हर
गिरता निरंतर जलस्तर
क्या पिएगा आने वाला कल
टूटे नल बहता पानी
होती पानी की बरबादी
व्यर्थ न इसे बहने दो
हर बूँद की कीमत समझो
जल ही जीवन है
यह जीवन अमृत है
जल बिन जीना मुश्किल है
जल संग्रहण का प्रयास हो
वर्षाजल बर्बाद ना हो
अब पहल हमें ही करना है
हो हमें जितनी जरूरत
पानी हो उतना ही संचित
व्यर्थ जमा कर पानी
नाली में ना बहने दो
बूँद-बूँद की कीमत को
वो ही अच्छे से समझते हैं
जो इसके लिए तरसते हैं
एक एक घड़े पानी के लिए
वो मीलों तक पैदल चलते हैं
हम फिजूल पानी बहाकर
सिर्फ गाड़ी को चमकाते है
घर बैठे पानी मिलता है
पानी का मोल तो समझेँ
जल अनमोल धरोहर जीवन की
प्रकृति के खिलते यौवन की
कुछ तो फिकर करो सब
अपने आने वाले कल की
अगर यह सिलसिला नहीं रूका
तो धरती से फिर जीवन रूठा
***अनुराधा चौहान***
यथार्थ और सुन्दर लेखन खरी खरी चेतावनी देती रचना।
ReplyDeleteसादर आभार कुसुम जी मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए
Deleteबिन पानी सब सून
ReplyDeleteबहुत सुंदर संदेश देती रचना
सादर आभार आदरणीय
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