Thursday, July 19, 2018

मंहगाई

मंहगाई
एक समस्या भारी
कभी प्याज तो कभी दाल
कभी तेल टमाटर की बारी
दिन पर दिन
कीमत बढ़ती जाए
गरीबों को निगलती जाए
बुझ रहे घरों के चूल्हे
दाल टमाटर होते हीरे
प्याज रोटी खाकर जो
अपना गुजारा करते थे
प्याज की तो छोड़ो
रोटी के लाले पड़ते हैं
नमी आंखों में लेकर
जब बच्चे भूखे सोते हैं
तब बेबस माँ बाप
अपनी फूटी
किस्मत को रोते हैं
जी तोड़ मेहनत कर
जितना कमा कर लाते हैं
मंहगाई के कारण
एक वक्त ही खाना पाते है
समाधान के नाम पर
सिर्फ झूठे वादे होते है
मंहगाई कम करने
प्रयास कम होते है
किसान अपनी
दयनीय स्थिति से
मरने को मजबूर है
पर नेता जी तो
अपनी कुर्सी के
मद में चूर हैं
पेट्रोल डीजल के
दामों को लेकर
हो हल्ला होता है
जरा गरीबों के घर
झांक कर देखो
क्या उनका चूल्हा
जल रहा है
***अनुराधा चौहान***

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