Tuesday, July 24, 2018

भोर सुहानी

रवि उदय हुआ
नई भोर हुई
रवि किरणें जग में
चहुं ओर बिखरी
भर अंबर में लाली
लाई भोर सुहानी
चिड़िया चहकी
डाली डाली
देख अंबर की लाली
कली कली इठलाई
सुन भंवरों की गुंजन
फूल बन मुस्काई
छोड़ शबनमी आवरण
रवि किरणों की छुअन से
शोभित वसुंधरा शरमाई
गालों को छुकर
पवन चली
बोली उठ जाओ
नई भोर हुई
***अनुराधा चौहान***


6 comments:

  1. वाह ...भोर का सुन्दर वर्णन

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  2. भोर का अप्रितम शब्दांकन प्रिय अनुराधा जी |

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद रेनू जी

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  3. भोर का बहुत सुन्दर वर्णन करती रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

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