Monday, July 2, 2018

हरियाली चूनर

(चित्र गूगल से संगृहीत)
उमड़ घुमड़ काले बदरा छाए
देख के उनका रूप सलोना
धरती ने भी ली अंगड़ाई
धरती ने ली अंगड़ाई
मन मयूर डोल उठा है
करने धरा का आलिंगन
अब बदरा झूम उठा है
देख के इनकी छटा निराली
दामिनी चमक कर आई
और धरा को छूने से
खुद को रोक न पाई
पा उसका स्पर्श
धरती सकुची शरमाई
हरियाली की चूनर ओढ़े
 फिर मंद मंद मुस्काई
***अनुराधा चौहान***


15 comments:

  1. शानदार
    धरती जब हरियाली चूनर पहनती है तो सब कुछ सुहाना हो जाता है

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    1. धन्यवाद विश्वमोहन जी

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  3. बहुत सुंदर रचना

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    1. जी बहुत बहुत शुक्रिया

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  4. अवश्य पम्मी जी बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को साझा करने के लिए

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  5. बहुत सुंदर मनभावन रचना पावस मे धरा सरस सरस जाय ।

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  6. सादर आभार कुसुम जी

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  7. बहुत सुंदर रचना अनुराधा जी।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी

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  8. वि!!बहुत सुंदर ।

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  9. धन्यवाद शुभा जी

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  10. शब्द जैसे ढ़ल गये हों

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